November 24, 2024

लता मंगेशकर : एक आम लड़की से देश की आवाज बनने तक की पूरी कहानी, हुई थी जहर देकर मारने की कोशिश

मुंबई। बॉलीवुड सहित देश की सभी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाली स्वरकोकिला लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है. वह 91 साल की हो गई हैं. उनका जन्मद 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था. उन्होंने अपनी गायकी से देश के साथ-साथ दुनिया में भी लोगों का दिल जीता है. लता मंगेशकर को गायिकी क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने के लिए भारत रत्न, पद्म विभुषण, पद्म भूषण और दादासाहेब फाल्के अवार्ड जैसे कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है.

लता मंगेशकर ने साल 1943 में महज 13 साल की उम्र में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए ‘नाचू या गाडे, खेलू सारी, मानी हौस भारी’ गीत के साथ लता मंगेशकर ने अपने करियर की शुरुआत की थी. इसके बाद वसंत जोगलेकर की फिल्म ‘आप की सेवा में’ के लिए ‘पा लागूं कर जोड़ि रे’ गीत के साथ उन्होंने हिंदी फिल्मों में अपनी पारी की शुरुआत की थी.

इस फिल्म से मिला बड़ा ब्रेक

लता मंगेशकर को पहला बड़ा ब्रेक साल 1948 में आई फिल्म ‘मजबूर’ का गाना ‘दिल मेरा तोड़ा’ के साथ मिला. इसके बाद फिल्म ‘महल’ का गाना ‘आएगा, आएगा, आएगा..आएगा आनेवाला आएगा’ को लोगों ने खूब पसंद किया और यह उनकी पहली म्यूजिकल हिट रही. लता मंगेशकर ने एक से बढ़कर एक संगीतकारों के साथ काम किया. चाहें मास्टर गुलाम हैदर हों या फिर नौशाद, शंकर जय किशन की जोड़ी हो या फिर मदन मोहन की. सलील, लक्ष्मीकांत प्यारे लाल और आरडी वर्मन के साथ उन्होंने खूब गाने गाए.

लता की तारीफ में गुलजार ने कहा था ये

1977 में फिल्म ‘किनारा’ में लता मंगेशकर के लिए एक गाना लिखा गया. आज जब भी लता का नाम आता है उस गाने का जिक्र जरुर होता है- ‘मेरी आवाज ही पहचान है’. ‘नाम गुम जाएगा’ टाइटल का ये गाना लता के लिए गुलजार ने लिखा. गुलजार उनकी गायिकी की तारीफ में कहते हैं, ”लता की आवाज हमारे देश का एक सांस्कृतिक तथ्य है, जो हम पर हर दिन उजागर होता है. उनकी मधुर आवाज सुने बगैर शाम नहीं ढलती- सिवा की आप बाधिर ना हों.”


हुई थी जहर देकर मारने की कोशिश

1962 में जब लता 32 साल की थी तब उन्हें स्लो प्वॉइजन दिया गया था. लता की बेहद करीबी पदमा सचदेव ने इसका जिक्र अपनी किताब ‘ऐसा कहां से लाऊं’में किया है. जिसके बाद राइटर मजरूह सुल्तानपुरी कई दिनों तक उनके घर आकर पहले खुद खाना चखते, फिर लता को खाने देते थे. हालांकि उन्हें मारने की कोशिश किसने की, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया.

चप्पल उतार के स्टूडियों में जाती हैं

सुरीली आवाज और सादे व्यक्तित्व के लिए विश्व में पहचानी जाने वाली संगीत की देवी लता आज भी गीत रिकार्डिग के लिए स्टूडियो में प्रवेश करने से पहले चप्पल बाहर उतार कर अंदर जाती हैं.

error: Content is protected !!