धान पर रार : पूर्व मुख्यमंत्री के आराेपों पर भड़के CM भूपेश बघेल, कहा – मूर्खो जैसी बातें न करें रमन सिंह
रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान पर राजनीति जारी है। कांग्रेस केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान चला रही है तो भाजपा राज्य सरकार के खिलाफ आक्रामक है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के आरोपों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भड़का दिया है। प्रेस से चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, मूर्खों जैसी बात न करें रमन सिंह।
बस्तर से लौटकर संवाददाताओं से बातचीत में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, रमन सिंह सांसद भी रहे हैं और केंद्र में मंत्री भी-हालांकि उनके पास फाइल भी नहीं जाती थी। वे मूर्खों जैसी बात न करें। कोई भी काम होता है केंद्र और राज्य से मिलकर होता है।
उन्होंने कहा,चावल खरीदने का काम केंद्र सरकार का है। उनके आदेश से हम चावल बनाकर देते हैं। फिर वे चावल क्यों नहीं ले रहे हैं। ठीक है वे समर्थन मूल्य घोषित करते हैं, लेकिन बोनस तो केंद्र सरकार भी देती थी। केंद्र सरकार ने बोनस पर जो रोक लगाई है वह सही है या गलत है रमन सिंह पहले यह बताएं।
रमन सिंह को बताना चाहिए कि बोनस पर केंद्र सरकार की यह रोक किसान के विरोध में है कि नहीं हैै। मुख्यमंत्री ने कहा, पहले UPA की सरकार में मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते बोनस मिलता था। राज्य सरकारें भी बोनस देती थीं। अब इसे रोकने का फैसला गलत है या नहीं रमन सिंह बताएं।
मुख्यमंत्री ने कहा, जहां तक बारदाने की बात है तो रमन सिंह के कार्यकाल में कभी कोरोना नहीं आया था। फैक्ट्रियां बंद नहीं हुई थीं। उसके बाद भी पुराने पेपर की क्लिपिंग निकालकर देख लीजिए, बारदाना की कमी की वजह से, तुलाई में कमी की वजह से परिवहन नहीं होने से खरीदी प्रभावित हुई है और उसके खिलाफ आंदोलन होते रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, कोरोना नहीं होते हुए भी उस समय जो अव्यवस्थाएं थी, क्या रमन सिंह उसके लिए माफी मांगेंगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, किसान और सरकार को जो परेशानी अभी हो रही है उसके पीछे भाजपा है। उन्होंने कहा, चावल लेने के मामले में ये लोग केंद्र सरकार को क्यों नहीं लिखते। 60 लाख मीट्रिक टन की सहमति बनी थी, 24 लाख मीट्रिक टन की अनुमति मिली वह भी एक महीने बाद जनवरी में। आखिर जब अनुमति मिलेगी तो तभी तो उसना राइस मिल वालों को डीओ कटेगा। हमारे छत्तीसगढ़ में उसना चावल खाते नही, यहां अरवा चाहिए। केंद्र सरकार नहीं लेगी तो उसका करेंगे क्या।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष की ओर से लगाए जा रहे किसानों का फसली रकबा कम करने के आरोपों को भी खारिज किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, सरकार ने गिरदावरी कराई है। उसके बाद फसलों का रकबा कम नहीं हुआ बल्कि बढ़ा है। पिछले वर्ष 19 लाख हेक्टेयर रकबे में धान का पंजीयन हुआ था। इस बार 21.5 लाख हेक्टेयर का पंजीयन हुआ है। मतलब दो-ढाई लाख हेक्टेयर रकबा बढ़ा है। आंकड़े ही बता रहे हैं कि ये आरोप सत्य नहीं हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि कांग्रेस ने केंद्र सरकार से पूछकर धान का दाम 2500 रुपया प्रति क्विंटल घोषित नहीं किया था। अब वह दाम नहीं दे पा रही है तो केंद्र सरकार को जिम्मेदार क्यों ठहरा रही है। भाजपा नेताओं से क्यों कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार को पत्र लिखें। रमन सिंह ने एक बयान में कहा, उनके 15 साल के शासनकाल में बारदानों की कभी कोई कमी नहीं हुई।