सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, केंद्र को कहा – आपने आंखें क्यों मूंद रखी हैं
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज कोरोना महामारी के प्रसार को लेकर तब्लीगी जमात की घटना के सांप्रदायिकता के खिलाफ जमीयत-उलमा-ए-हिंद की याचिका पर सुनवाई की गई थी. इस मामले पर तीन सप्ताह बाद फिर से सुनवाई होगी.
गुरुवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, ऐसे कार्यक्रम देखे गए हैं जो एक समुदाय को उकसाते और प्रभावित करते हैं. चीफ जस्टिस ने कहा कि निष्पक्ष और सच्ची रिपोर्टिंग कोई समस्या नहीं है लेकिन दूसरों को परेशान करने के लिए ऐसा करना एक समस्या है. सीजेआई बोबडे ने का, ‘यह उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पुलिसकर्मियों को लाठी देना.’
इंटरनेट बंद होने को लेकर टिप्पणी
सुनवाई के दौरान सीजेआई बोबडे ने यह भी उल्लेख किया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों के विरोध के कारण इंटरनेट कैसे बंद था? उन्होंने कहा, ‘कल आप इंटरनेट और मोबाइल बंद कर दिया क्योंकि किसान दिल्ली जा रहे थे. मैं गैर विवादास्पद शब्द का उपयोग कर रहा हूं. आपने मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया. ये ऐसी समस्याएं हैं जो कहीं भी उत्पन्न हो सकती हैं. मुझे नहीं पता कि कल टीवी में क्या हुआ है.
कुछ नियंत्रण महत्वपूर्ण, लेकिन सेंसरशिप…
सीजेआई ने कहा कि मीडिया को रेगुलेट करने संबंधी सरकार की शक्तियों के संबंध में कहा कि कानून और व्यवस्था बरकरार रखने के लिए कुछ समाचारों पर नियंत्रण महत्वपूर्ण है. सॉलिसीटर जनरल, तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि वे प्रसारण पूर्व सेंसरशिप नहीं कर सकते. लाइव शो या बहस को नियंत्रित नहीं कर सकते.
हिंसा को लेकर चिंतित है अदालत
इस पर सीजेआई बोबडे ने कहा कि शीर्ष अदालत हिंसा को लेकर चिंतित है और इस मामले पर एक हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है. बता दें कि चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल हैं.