2020 में भारत में करप्शन बढ़ा : 4 पायदान लुढ़ककर 86वेें नंबर पर आया; भूटान,मालदीव और चीन हमसे बेहतर
वाशिंगटन। दुनिया में भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली रैंकिंग एजेंसी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने गुरुवार को ‘2020 करप्शन पर्सेप्शन्स इंडेक्स’ (CPI) जारी किया। इसमें भारत 40 अंकों के साथ 86वें स्थान पर है। पिछले साल 41 अंकों के साथ हमारा देश 80वें स्थान पर था। चीन कुछ बेहतर स्थिति के साथ 78वें पायदान पर है। सबसे बेहतर स्थिति यानी सबसे कम करप्शन न्यूजीलैंड में है। उसे 100 में से 88 पॉइंट्स मिले हैं और वो पहले स्थान पर है। इतने ही अंक डेनमार्क के हैं। न्यूजीलैंड के साथ उसकी भी पहली रैंकिंग है।
CPI की रिपोर्ट में कहा गया है कि करप्शन पर कोरोना का भी असर पड़ा, क्योंकि कोविड सिर्फ एक हेल्थ और इकोनॉमिक इश्यू नहीं रहा। CPI ने 13 एक्सपर्ट्स और कारोबार से जुड़े लोगों के सर्वे के आधार पर यह लिस्ट जारी की है। जिन देशों को 100 में से सबसे ज्यादा अंक मिलते हैं, वे सबसे कम भ्रष्ट देश कहलाते हैं। जिन देशों को कम अंक मिलते हैं, वहां करप्शन ज्यादा माना जाता है।
PM मोदी के कार्यकाल में भी कम नहीं हुआ करप्शन
2005 से लेकर 2013 तक UPA की मनमोहन सिंह सरकार और मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार की तुलना की जाए तो स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। 2006-07 में करप्शन के मामले में जरूर रैंकिंग सुधरी। उस दौरान भारत 70वें और 72वें स्थान पर था। UPA शासन के अंतिम समय में यानी 2013 में हम 94वें स्थान पर लुढ़क गए। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सबसे अच्छी स्थिति 2015 में रही, तब भारत वर्ल्ड रैंकिंग में 76वें स्थान पर पहुंचा।
इन देशों की रैंकिंग बेहतर हुई
CPI के मुताबिक, कुल 26 देशों की रैंकिंग पिछले साल (2019) की तुलना में बेहतर हुई है, उनमें भारत का पड़ोसी देश म्यांमार भी शामिल है। वो अब 28 अंक के साथ 137वें स्थान पर पहुंच गया है। उसके अलावा जिन देशों ने करप्शन के मामले में सुधार किया है, उनमें इक्वेडोर (39), ग्रीस (50), गुयाना (41) और साउथ कोरिया (61) शामिल हैं।
इन देशों में करप्शन बढ़ा
22 देश ऐसे भी हैं, जहां पिछले साल भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ा। इनमें बोस्निया-हर्जेगोविना (35), ग्वाटेमाला (25), लेबनान (25), मलावी (30), माल्टा (53) और पोलैंड (56) शामिल हैं।