इस गांव में देवी-देवता की नहीं दानव की होती है पूजा; चढ़ता है शराब का प्रसाद, सैकड़ों साल पुराना है इतिहास
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कई गाँवों में आज भी पुराने मान्यताओं पर लोग चलते आ रहे हैं। धार्मिक अनुष्ठानों में आपने देवी-देवताओं की पूजा करते हुए तो देखा है, लेकिन क्या कभी आपने किसी दानव की पूजा के लिए लोगों की भीड़ उमड़ते देखा है. आज हम आपको ले जा रहे है ऐसी जगह जहां देवी-देवताओं की नहीं बल्कि दानव की पूजा होती है. सूबे के सूरजपुर जिले में खोपा गांव में स्थित है खोपा धाम. जहां बकासुर नाम के दानव की पूजा की जाती है।
ऐसी मान्यता है कि यहां हर किसी की मन्नत बकासुर पूरी करते हैं. खोपा धाम को लोग दानव देवता के नाम से भी जानते है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दानव की पूजा करने के लिए आते हैं. लाल कपड़ा बांधकर नारियल का चढ़ावा देकर मन्नत मांगते हैं. यहां के प्रमुख पुजारी सुखलाल जो इस गांव के सरपंच भी है जिन्हें बैगा कहा जाता है. बताते है कि यहां आने वाले श्रद्धालु जो भी मन्नत मांगते है उनकी मुरादें पूरी होती है.
बैगा ने बकासुर की दिलचस्प कहानी भी बताई. उन्होंने बताया कि बकासुर नाम का दानव अपने परिवार के साथ गांव के पास की नदी में रहता था. गांव के एक बैगा जाति के युवक से प्रसन्न होकर वह गांव के बाहर एक स्थान पर आकर रहने लगा और अपनी पूजा के लिए उसने बैगा जाति के लोगों को स्वीकृति दी. बकासुर की पूजा की विधि-विधान भी अलग है. यहां पहुंचने वाले लोग पहले बकासुर को नारियल, अगरबत्ती और सुपारी देकर मन्नत मांगते है. जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो यहां दोबारा आकर बकरा या शराब का चढ़ावा चढ़ाते है. इस स्थान पर सैकड़ों वर्षों से पूजा की जा रही है.