December 12, 2024

CG – मालामाल हुआ किसान : खेती कर 11 महीने में कमाए 20 लाख रुपये; YouTube ने बदली किस्मत

KISAN-AMBIKA

अम्बिकापुर। कोरोना और Youtube ने किस्मत बदल दी. अब ईंट भट्ठे का व्यवसायी खेती किसानी में हाथ आजमाकर 30 एकड़ जमीन में सब्जी, भाजी की खेती कर हर महीने 1.50 लाख रुपये से ज्यादा कमाई कर रहा है. मतलब सालभर में करीब 20 लाख रुपये का फायदा हो रहा है. वहीं इस वर्ष किसान ने तरबूज, बैगन, खीरा, लौकी की जबरदस्त पैदावार की है. जिससे इस बार 30 लाख रुपये कमाई होने की संभावना जताई है.

खास बात है कि खेती किसानी में फायदा मिलने के बाद किसान ने गांव के कई महिला-पुरुषों को अपने कृषि फार्म में रोजगार भी दिया है. वहीं सब्जियों की बंपर पैदावार होने पर उसे तोड़ने के लिए 40-45 मजदूर लगाने पड़ते है. इसके साथ ही इस किसान से प्रेरणा लेकर क्षेत्र के 5 से 10 युवा भी खेती को मुख्य रोजगार के तौर पर लेकर आधुनिक तरीके से खेती कर लाभ कमा रहे है.

दरअसल, जिला मुख्यालय सूरजपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूर में रामनगर गांव है. यहां बाबूलाल यादव नाम के किसान है. जो पिछले 10-15 साल से ईंट भट्ठे का कारोबार करते थे. जब कोरोना वायरस आया तो ईंट भट्ठे से लाभ मिलना कम हो गया. इसके बाद बाबूलाल ने रेण नदी के किनारे गांव के ही लोगों की 30 एकड़ जमीन लीज पर लिया और वैज्ञानिक तरीके से खेती करना शुरू किया. किसान बाबूलाल यादव ने बताया कि मई 2022 में उन्होंने खेती किसानी का काम शुरू किया. शुरुआत में उन्हें ड्रिप, बांस, बल्ली और अन्य समानों के लिए 40 से 45 लाख रुपये लागत लगी.

पहले उन्होंने टमाटर, लौकी की खेती की. जिसमें अच्छा मुनाफा हुआ. लगभग 20 लाख रुपये की आमदनी हुई. इस फायदे के बाद उत्साह से लबरेज किसान बाबूलाल ने अब अपने फार्म हाउस में खीरा, बैगन, लौकी, तरबूज लगाया है. इसमें खीरा तोड़ने का काम शुरू हो गया है. वहीं बैगन की पैदावार भी जबरजस्त है. उन्होंने बढ़िया पैदावार के पीछे की वजह बताया कि ग्राफ्टिंग खेती. इस पद्धति से खेती करने पर अच्छा फायदा होता है. फसलों का जीवन ज्यादा बढ़ जाता है.

किसान बाबूलाल यादव ने बताया कि उन्होंने इंट भट्ठा के कारोबार से फायदा कम होने पर फ्री टाइम में यूट्यूब में खेती किसानी से संबंधित वीडियो देखा करते थे. जिसके बाद उनके मन में खेती करने का ख्याल आया और तब से यह काम शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि उनके फार्म हाउस में सबसे मजबूत पहलू ड्रिप सिस्टम है. इस पद्धति से खेती करने पर पाइप के माध्यम से पौधों के जड़ों तक पानी और खाद बड़ी आसानी से पहुंच जाता है. वहीं इसके लिए ज्यादा मजदूर रखने की आवश्यकता नहीं होती है. इससे काफी ज्यादा धन का बचत होता है, और एक एक पौधा में पानी डालने का मेहनत नहीं करना पड़ता. उन्होंने 30 एकड़ में लगाए फल, सब्जियों के पानी डालने के सवाल पर कहा कि फार्म हाउस में एक तालाब बनवाया गया है, जिसमें बगल से होकर गुजरने वाली रेण नदी से पानी भरा जाता है. फिर तालाब के पानी की सप्लाई सब्जियों में की जाती है.

बाबूलाल यादव ने इंटरनेट का भरपूर फायदा उठाया और खेती किसानी के लिए यूट्यूब और गूगल को ही अपना गुरु मान लिया. नेट पर खेती किसानी को लेकर बताए निर्देश का पालन करते हुए वैज्ञानिक पद्धति से खेती की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि अब खेती किसानी से संबंधित कोई समस्या होती है तो वे गूगल और यूट्यूब से ही समाधान सर्च कर सलाह लेते है. उसी के बताए अनुसार कदम बढ़ाते है. उनका कहना है कि वैज्ञानिक खेती करने से अब तक उन्हें लगभग 20 लाख रुपए इनकम हुई है, और इस बार 30 लाख रुपए पहुंचने की संभावना है.

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