आखिर कहाँ है 250 साल पुराना ‘ब्रम्ह तेंदू’: ग्रामीणों के लिए वरदान बना पुराना पेड़, अरसे से हो रही पूजा अर्चना
धमतरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिलान्तर्गत नगरी सामान्य वनमंडल परिक्षेत्र के राजपुर गाँव में 200 साल से भी ज्यादा पुराना एक विशालकाय तेंदू वृक्ष हैं। स्थानीय लोगों ने इसे ‘ब्रम्ह तेंदू’ का नाम दिया हैं। कई साल बीत गए, कई मौसम आए और चले गए, लेकिन ये पेड़ आज भी शान से सीना ताने खड़ा है। ग्रामीण इस पेड़ की सिर्फ पूजा ही नहीं करते बल्कि हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर रक्षा सूत्र बाँध कर इस पेड़ की रक्षा का संकल्प लेते हैं।
हमारे देश में आदिकाल से ही पेड़ों की पूजा करने की संस्कृति रही है। लोग मानते हैं कि पीपल, बरगद, केले समेत अन्य वृक्षों पर साक्षात भगवान का वास होता है। बरगद और पीपल हिन्दू धर्म में पूज्यनीय है, यह तो सभी जानते हैं, लेकिन सूबे के धमतरी जिले में तेंदू के पेड़ की भी पूजा की जाती है, यह आप लोगों को अभी पता चला होगा। स्थानीय लोगों ने इसे ‘ब्रम्ह तेंदू’ का नाम दिया है। नगरी इलाके के राजपुर गांव में इस पेड़ की पूजा होती है। इसके पीछे लोगों की कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।
वनविभाग के मुताबिक़ इस पेड़ की ऊंचाई करीब 40 मीटर है और गोलाई 300 सेंटीमीटर है। करीब 250 साल से भी ज्यादा पुराना यह तेंदू पेड़ नगरी वन परिक्षेत्र के राजपुर गांव के कक्ष क्रमांक-292 में घने जंगलों के बीच स्थित है। यहां साल, बीजा, सागौन जैसे कई पेड़ों के बीच मौजूद तेंदू के इस आदमकद पेड़ को ग्रामीणों ने ‘ब्रम्ह तेंदू’ का नाम दिया है।
राजपुर गांव के रंजन प्रताप सिंह और सोहन पोयाम बताते हैं कि हर साल रक्षाबंधन के अवसर पर वन विभाग और ग्रामीणों की ओर से इस पेड़ को रक्षा सूत्र बांधा जाता है, साथ ही लोग इस पेड़ की रक्षा का संकल्प लेते हैं। इसके अलावा प्रमुख अवसरों पर भी ग्रामीण इस विशाल ‘ब्रम्ह तेंदू’ की पूजा अर्चना कर धार्मिक कार्यक्रम संपन्न करते हैं।
बता दें की तेंदू के पत्तों को छत्तीसगढ़ में ‘हरा सोना’ भी कहा जाता है। हरे सोने को अपने में समेटे यह विशाल पेड़ ग्रामीणों के लिए किसी दैवीय वरदान से कम नहीं है। वन विभाग के लिए यह पेड़ एक महत्वपूर्ण धरोहर में से एक है, जिसे सहेजने और संजोने में वन विभाग जी जान से जुटा हुआ है। गर्मी के इन दिनों में भी ब्रम्ह तेंदू की हरी पत्तियां, मजबूत शाखाएं और विशालकाय तने इस बात का अहसास दिलाते हैं, कि यह ब्रम्ह तेंदू का वृक्ष आने वाली कई पीढ़ियों को अपनी ठंडी छांव और अपने मीठे फलों से तृप्त करता रहेगा।