September 28, 2024

पत्नी की याद में बनवाया मंदिर, रोज करता है पूजा, शाहजहां-मुमताज सी है इसकी कहानी

फतेहपुर। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में एक अनोखा मामला देखने को मिला है. यहां पर एक पति ने अपनी पत्नी की याद में एक मंदिर बनवा लिया. खास बात यह है कि मंदिर के अंदर किसी देवी-देवता की नहीं बल्कि व्यक्ति ने अपनी ही पत्नी की मूर्ति की स्थापना करवाई है. मंदिर के निर्माण के साथ-साथ पति अब सुबह-शाम पत्नी की मूर्ति की पूजा भी करता है और उसके सामने बैठकर पाठ भी करता है. पत्नी के लिए इतना प्यार देखकर स्थानीय लोग इसे शाहजहां और मुमताज की लव स्टोरी से जोड़ कर देखते हैं. उनका कहना है कि जिस तरह से शहजहां ने मुमताज के लिए ताज महल बनवाया था उसी तरह से इस शख्स ने भी अपनी पत्नी के लिए मंदिर बनवाया है.

जिले के बकेवर थाना क्षेत्र के पधारा गांव में रहने वाले राम सेवक रैदास ने अपनी पत्नी की याद में मंदिर का निर्माण करवाया है. रामसेवक रैदास की पत्नी का निधन 18 मई 2020 को हो गया था. कोरोना काल में पत्नी के निधन के बाद से रामसेवक गुमसुम रहने लगे. वह पत्नी के चले जाने से बहुत हताश हो गए थे. इसके बाद उन्होंने मंदिर बनवाने का फैसला किया. मंदिर बनवाने के बाद साथ ही उन्होंने वहां पर पूजा पाठ करना भी शुरू कर दिया.

खेत में बनवाया मंदिर
रामसेवक रैदास अमीन के पद से रिटायर्ड हैं. पत्नी के चले जाने के कुछ महीनों तक तो वह बहुत दुखी रहे लेकिन बाद में उन्होंने मंदिर निर्माण करवाया. मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने अपने खेत की जमीन को चुना. उन्होंने वहां पर दो मंजिला मंदिर बनवाया है जिसमें उनकी पत्नी की मूर्ती की स्थापना की गई है. उनकी पत्नी की मूर्ति भी उनके कद काठी के मुताबिक बनाई गई है. रामसवेक के 5 बच्चे हैं जिनमें 3 लड़के और 2 लड़कियां हैं.

977 में हुई थी शादी
राम सेवक रैदास बताते हैं कि उनकी पत्नी का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था जिसके बाद 18 मई 1977 को उनकी शादी हो गई थी. इसके बाद उन्होंने काफी खुशहाल जीवन एक साथ व्यतीत किया. जब कोरोना महामारी का वक्त चल रहा था उस वक्त उनकी पत्नी का निधन हो गया था. जिसके बाद वह बहुत अकेले हो गए थे. लेकिन, अब मंदिर बनने के बाद उन्हें उनकी पत्नी के पास होने का आभास होता है.

ग्रामीणों ने उड़ाया था मजाक
शुरूआत में जब रामसेवक ने मंदिर बनाने का फैसला किया था, तो ग्रामीणों ने उनके फैसले का स्वागत नहीं किया. कुछ लोगों ने तो उनका मजाक भी बनाया था. हालांकि मंदिर बनने के बाद सभी को समझ आया कि उनका प्यार उनकी पत्नी के लिए कितना सच्चा था. मंदिर निर्माण के बाद रामसेवक सुबह शाम अपनी पत्नी के मंदिर में जाकर पूजा-पाठ करते हैं.

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