CG – कांग्रेस उतारेगी 36 नए चेहरे : डेंजर जोन में दो मंत्री सहित 20 से अधिक MLA!, हारे हुए कुछ प्रत्याशी अब भी सेफ ज़ोन में, किसकी क्या स्थिति यहाँ देखें…
रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव-2023 की तारीख का एलान आयोग ने अब तक नहीं किया हैं। बावजूद इसके कांग्रेस का एक एक सीटों पर जीतने वाले उम्मीदवारों की परख की हैं। वहीँ दूसरी तरफ मंत्री रविंद्र चौबे के एक बयान ने आज कांग्रेस के भीतर कार्यकर्ताओं को उद्धेलित कर दिया हैं। जिसमें हारे हुए उम्मीदवारों के दावों को लगभग खारिज कर दिया हैं और 22 सिटिंग MLA को भी डेंजर जोन में रखे जाने के संकेत दिए हैं। इस आशय की खबरे वायरल होते ही इस कैटेगरी में आने वाले नेताओं में हड़कंप हैं वही कुछ जगहों पर कार्यकर्ता भी आक्रोशित नज़र आ रहे हैं। AICC के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो ऐसा कोई क्राइटेरिया फिक्स नहीं हैं कि पिछले चुनाव में हारे हुए उम्मीदवारों को प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक़ सर्वे में जीत सकने वाले दावेदार जो पिछले चुनाव में पराजित हुए थे, जिनका नाम सर्वे के बाद पैनल में एक या दो पर हैं उन्हें भी दुबारा मौका दिया जा सकता हैं। यह सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन मध्यप्रदेश, राजस्थान में भी संभव हैं। छग में ऐसे लगभग तीन से पांच विधानसभा क्षेत्र हैं जहाँ पूर्व में हारे हुए प्रत्याशियों का दावा काफी मज़बूत हैं।
छत्तीसगढ़ के राजनितिक गलियारों में सत्ताधारी दल कांग्रेस में टिकट को लेकर कई नए प्रयोगों की जबरदस्त चर्चा है.और कई विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता उद्धेलित भी होते नज़र आ रहे हैं। शायद यही वजह है कि कांग्रेस की पहली सूची आने में अभी देर है। पूर्व में कांग्रेस नेताओं की ओर आए बयानों के मुताबिक तो पहली लिस्ट सितंबर पहले सप्ताह में आ जानी चाहिए थी, लेकिन वरिष्ठ नेताओं में सहमति और असहमति के बीच पेंच ऐसा फंसा है कि पहले सप्ताह नहीं अब सितंबर अंतिम सप्ताह तक प्रत्याशियों की सूची आने की खबर है। वहीँ स्क्रीनिंग कमेटी में चरणदास महंत की नियुक्ति के बाद प्रत्याशी चयन प्रक्रिया में फिर विलम्ब और कुछ सीटों के पैनलों में भी परिवर्तन होने के कयास लगाए जा रहे हैं।
इस बीच मंत्री रविन्द्र चौबे ने मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा में कहा है कि 90 में से 40 सीटों पर नए चेहरे उतारे जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि इनमें 19 वो सीटें शामिल जहाँ कांग्रेस हारी और 21 वो सीट जहाँ कांग्रेस के मौजूदा विधायक हैं। मंत्री चौबे छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए बनाए गए संचार समिति के अध्यक्ष हैं, साथ ही राज्य सरकार के प्रवक्ता भी हैं। इस दृष्टि से मंत्री चौबे के बयान के अपने मायने साफ है और यह एक तरह से डेंजर जोन वाले विधायकों को संकेत भी है कि उन्हें पार्टी दोबारा मौका नहीं देने जा रही है। परन्तुं इस बयान साइड इफेक्ट भी दिखने लगा हैं। कुछ क्षेत्रों के कार्यकर्ताओं ने इसे भ्रमित करने वाला बयान भी करार दिया हैं। कहीं कहीं दबे स्वर में आवाज़ें भी उठनी शुरू हो गई हैं। दावेदार इसे कार्यकर्ताओं की पार्टी के प्रति निष्ठा बता रहे हैं।
बहरहाल कांग्रेस में डेंजर जोन में दो मंत्री सहित ज्यादातर पहली बार चुनाव जीतकर आने वाले नेता शामिल हैं। इनमें वो नेता भी शामिल हैं, जिन्होंने 2018 के चुनाव में लहर के बीच भारी मतों से जीत हासिल की और भाजपा के बड़े नेताओं को हराने में सफल रहे। बावजूद इसके 2023 के चुनाव में कांग्रेस के इन्हीं विधायकों के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। सूत्र बता रहे हैं कि अलग अलग स्तर पर कराये गए सर्वे की रिपोर्ट इस लोगों के जीत के लिए अनुकूल नहीं है। इसलिए ऐसे लोगों के जगह नए युवा व महिला चेहरों को मौका दिया जा सकता हैं।
जिनकी टिकट डेंजर जोन में ऐसे संभावित विधायक
गुंडरदेही- विधायक कुँवर सिंह निषाद
भिलाई नगर- विधायक देवेन्द्र यादव
अहिवारा- विधायक गुरु रुद्र कुमार
नवागढ़- विधायक गुरुदयाल बंजारे
डोंगरगढ़- विधायक भुवनेश्वर बघेल
मोहला-मानपुर- विधायक इंद्रशाह मंडावी
खुज्जी – विधायक छन्नी साहू
पंडरिया- विधायक ममता चंद्राकर
बालोद- विधायक संगीता सिन्हा
कांकेर- विधायक शिशुपाल शोरी
अंतागढ़- विधायक अनूप नाग
नारायणपुर- चंदन कश्यप
चित्रकोट- विधायक राजमन बेंजाम
महासमुंद – विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर
सराईपाली- किस्मत लाल नंद
खल्लारी- विधायक द्वारिकाधीश यादव
बैंकुठपुर- विधायक अंबिका सिंहदेव
मनेन्द्रगढ़- विधायक डॉ. विनय जयसवाल
कुनकुरी- विधायक यूडी मिंज
जशपुर- विधायक विनय भगत
रायगढ़ – विधायक प्रकाश नायक
बिलाईगढ़- विधायक चंद्रदेव राय
कसडोल- विधायक शकुंतला साहू
तखतपुर- विधायक रश्मि सिंह
इसके साथ ही 16 वो सीटें जहाँ पर कांग्रेस 2018 में हारी थी. इनमें तीन से पांच सीटें ऐसी हैं जहाँ की सर्वे रिपोर्ट हारे हुए पूर्व प्रत्याशियों के अनुकूल हैं।
बलौदाबाजार, कुरुद, बिंद्रानवागढ़, वैशाली नगर, राजनांदगांव, कोटा, मुंगेली, लोरमी, बिल्हा, बेलतरा, मस्तुरी, पामगढ़, जैजैपुर, अकलतरा, जांजगीर, रामपुर,
कहा जा रहा है कि इन सीटों में से अनुकूल सर्वे रिपोर्ट वाली सीटों को छोड़कर इस बार कांग्रेस नए चेहरों को मौका देगी. मतलब उन चेहरों को दोबारा मौका पार्टी नहीं देगी, जो 2018 में चुनाव हार गए थे।
जानकार बताते हैं कि कांग्रेस में चुनावों में टिकट वितरण का जो पिछ्ला इतिहास रहा है उसे देखते हुए कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा जा सकता है। चुनाव में कांग्रेस के मौजूदा विधायकों टिकट काटना इतना आसान भी नहीं रहा है जितना बताया जा रहा हैं। ऐेसे में पहली सूची किस फार्मूले के साथ आ रही है, सूची सर्वे आधारित ही है या फिर स्क्रीनिंग कमेटी में बैठे नेताओं के पसंद को भी तवज़्ज़ो दिया गया है,इसका इंतजार सभी को है। मतलब साफ़ हैं इतनी बड़ी संख्या में यदि टिकट कटती हैं तो कांग्रेस के भीतर अंसतोष की स्थिति भी निर्मित हो सकती हैं।