छत्तीसगढ़ः ‘शिवनाथ’ नदी क्यों बनी लोगों के लिए काल, 2 महीनें में निगल ली 18 जानें
दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक खेत से बहने वाली अटूट प्रेम की मिशाल वाली जीवनदायिनी नदी शिवनाथ मानसून के महीनों में लोगों के लिए काल साबित हो रही है। इस नदी ने पिछले 2 महीनों में 18 से अधिक लोगो की जान ले ली है। कोई इस नदी में सुसाइड कर अपनी जान गवां देता है तो कोई डूब कर जान खो देता है। कई बार रोड हादसे का शिकार होकर गिरे लोगों की भी इसमें डूबने से जान चली गई। महानदी की यह सहायक नदी प्रदेश का पूरा जल भरकर उत्तर को तर करती है लेकिन यहा काल क्यों बन जाती है।
दरअसल, अभी मानसून का सीजन चल रहा है। प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से नदी, नालों का जलस्तर बढ़ जाता है और बाढ़ के हालात बन जाते है। कई बार बाढ़ से नदियों के किनारे कट जाते है। जो हादसों की वजह बन जाते है। शिवनाथ नदी भी इससे अछूती नहीं है। बारिश के चलते इस नदी का जलस्तर भी बढ़ा हुआ है जो इसके किनारे काट दे रहा है। अब सवाल है कि आखिरकार यह नदीं काल क्यों बन गई है। लोगों की यहां डूबने से जान क्यों जाती है। तो जानते है इसका जवाब।
सुसाइड का सबसे अच्छा साधन
पहले से चला आ रहा है किसी डिप्रेशन में या अन्य हालातों में सुसाइड करने का सबसे सरल और कम दर्दनाक साधन नदी में डूबकर मरना है। इन दिनों शिवनाथ नदी में वाटर लेवल बढ़ा हुआ है। इसके चलते लोग शिवनाथ नदी को चुन रहे है। बिना बताए नदी में तैरने जाने का लालच हो या प्यार में मिला धोखा हो लोग नदियों में छलांग अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे है।
नदी का कमजोर किनारा
शिवनाथ नदी का किनारा खतरों से भरा हुआ है। रेत का खजाना लिए इस नदी के किनारे इतने कमजोर होते है कि बारिश का पानी बढ़ने के साथ कटने लगते है। मछली पकड़ने या नदी का नजारा देखने गए लोग भी इसके शिकार हो जाते है।
नदी पर बना सकरा पुल ले रहा जान
करीब 5 दिन पहले की बात है जब शिवनाथ नदी पर दुर्ग में बने सबसे पुराने पुल से एक वाहन नदी में गिर गया था। इस कार में 5 लोग सवार थे। नदी में कार गिरने से ये बाहर नहीं निकल पाए और डूबकर इनकी मौत हो गई। इस मामले में पुलिस जांच कर रही है। साथ ही यह भी पता करने की कोशिश कर रही है कि ये 5 लोग नदी के छोटे से पुल से क्यों गुजर रहे थे और वहां क्या करने गए थे।
शिवनाथ नदी में बढ़ रहे हादसों को देखकर एक ही सवाल उठता है कि आखिर इतने हादसे क्यों बढ़ रहे है? सरकार इसके लिए क्या कदम उठा रही है। जब आए दिन लोगों के मरने की खबर सामने आ रही है तो इन्हें रोकने के लिए प्रदेश सरकार क्या कदम उठा रही है। और कोई इंतजाम नहीं किए गए है तो ऐसी अनदेखी क्यों?