Ganesh Chaturthi 2023 : इको फ्रेंडली और यूनिक गजानन का चलन, मूर्तिकारों ने बनाई गिल्ली डंडा और बाटी से गणेश जी की मूर्ति
रायपुर। रायपुर में गणेश चतुर्थी का उत्सव मंगलवार 19 सितंबर से शुरू हो गया. राजधानी रायपुर में घरों के अलावा, ऑफिस और गली-मोहल्लों में गणपति बप्पा के लिए पंडाल सज चुके हैं. राजधानी में जगह-जगह गणपति जी की मूर्तियों की स्थापना की जा रही है। इस बार इको-फ्रेंडली गणेश के अलावा यूनिक गणपति भी नजर आ रहे हैं।
इसी कड़ी में रायपुर में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की तर्ज पर मूर्तिकार यादव परिवार ने गणपति जी बनाए हैं. फल, फूल, सब्जियों के अलावा, भौरा-रेत, बांटी, गिल्ली, और डंडे से गणेश जी की एक शानदार मूर्ति तैयार की गई हैं.
13 साल से इको फ्रेंडली गणपति ला रहे शिवचरण
राजधानी रायपुर के रायपुरा इलाके में मूर्तिकार शिवचरण यादव का परिवार निवास करता है. मूर्तिकार शिवचरण की बेटी राशि यादव बताती हैं कि उनके पिताजी शिवचरण यादव ने 13 साल पहले इको-फ्रेंडली और यूनिक गणेश बनाने का आरंभ किया था. उसके बाद से ही पूरा परिवार मूर्तियां बनाता आ रहा है. महादेव घाट के पास ‘ढूढ़ते रह जाओगे‘ के नाम से पिछले 40 साल से दही पापड़ी का ठेला भी लगाते आ रहे हैं, बरसात के दिनों में गुपचुप की बिक्री बंद हो जाती है, तो मूर्तियों का काम करते हैं.
इस तरह से जुटाई बनाने की सामग्री
इस यादव परिवार ने 500 भौरा, 1000 बांटी, 700 गिल्ली, और 700 डंडे से गणेश की प्रतिमा को तैयार किया है. पारिजात और सीसम की लकड़ी से गिल्ली डंडा बनाया गया है. मूर्तिकार राशि यादव के मुताबिक बलमहाराज गणेश उत्सव समिति डंगनिया में यह गणपति जी विरजमान होंगे, इसे बनाने में 3 महीने लगे, जब छत्तीसगढ़ में ओलंपिक की शुरुआत हुई तभी इस थीम को सोच लिए थे, तभी से इस पर काम शुरू किया और आज मूर्ति बनकर तैयार है.