CG : ऐसे में बिल्हा से हार रहे है धरमलाल कौशिक….., क्योंकि अनोखा है इस सीट का रिकॉर्ड, आप भी जाने
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के हाई प्रोफाइल सीट बिल्हा विधानसभा में कांग्रेस ने एक बार फिर पूर्व विधायक सियाराम कौशिक पर दांव लगाया है। पार्टी ने बिल्हा से सियाराम कौशिक को प्रत्याशी बनाया है। सियाराम पहले भी बिल्हा विधानसभा में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बन चुके हैं। हालंकि 2018 के चुनाव में जोगी कांग्रेस से चुनाव लड़कर सियाराम ने कांग्रेस से बगावत भी किया था। लेकिन हारने के बाद एक बार फिर उनकी कांग्रेस में वापसी हो गई। अब कांग्रेस ने एक बार फिर से उन्हें बिल्हा से प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव लगाया है।
फिलहाल बिल्हा विधानसभा सीट भाजपा के कब्जे में है ऐसे में सियाराम के सामने सीट जीतने की बड़ी चुनौती है। हालंकि सियाराम कौशिक का मानना है कि उन्होंने पहले भी बिल्हा में भाजपा को पटखनी दी है, ऐसे में एक बार फिर वे पार्टी के भरोसे पर खरा उतरेंगे और बिल्हा में कांग्रेस को जीत दिलाएंगे।
है अजब संयोग
बिलासपुर जिले के तहत आने वाले बिल्हा विधानसभा क्षेत्र में अब तक कुल 13 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। यहाँ को लेकर एक संयोग यह है कि क्षेत्र की जनता ने पिछले 30 सालों से कभी अपने विधायक को रिपीट नहीं किया। ऐसे में अब कहा जा रहा है कि बीजेपी के धरमलाल कौशिक इस बार चुनाव हार सकते है। बहरहाल यहाँ पहली बार चुनाव 1962 में हुआ था जबकि आखिरी 2018 में। छ दशक के सियासी दौर में बिल्हा विधानसभा से सिर्फ चार लोगों को ही विधायक के तौर पर चुना जा सका। इस सीट से पहली बार विधायक बनने वालों मे शामिल रहे है चित्रकांत जायसवाल। वे 1962 से लेकर 1985 में लगातार 6 विधानसभा चुनाव जीतने वाले पहले और अकेले एमएलए हैं। इसके बाद है अशोक राव का। कांग्रेस के निशान पर अशोक राव ने यहां से 1990 और 1993 में विधानसभा चुनाव जीता। साल 1998 में वे चुनाव हार गए। इसी तरह भाजपा नेता धरमलाल कौशिक ने 1998, 2008, 2018 में क्षेत्र से विधानसभा चुनाव जीता है। कांग्रेस के सियाराम कौशिक ने 2003 और 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की।
जातिगत समीकरण
बिल्हा विधानसभा सीट बिलासपुर जिले की सामान्य सीटों में शामिल है। यहां करीब 65 से 70 प्रतिशत आबादी ओबीसी और जनरल है। बिल्हा विधानसभा के मतदाताओं में साहू, कुर्मी और अन्य सामान्य के साथ ओबीसी वोटर्स की अधिकता है। सिंधी समाज का एक बड़ा वर्ग बिल्हा विधानसभा में चुनाव को हमेशा प्रभावित करता रहा है, इस तरह देखा जाएँ तो करीब 40 से 70 फीसदी आबादी सामान्य और ओबीसी की है।
सीट का भूगोल
बोदरी, सिरगिट्टी, पथरिया, सरगांव,तिफरा और बिल्हा। इन छह नगर पंचायतों से मिलकर बनी बिल्हा विधानसभा सीट का भूगोल जितना उलझा हुआ है, उतना ही उलझा हुआ है यहां का सियासी समीकरण। कभी सवर्ण वर्ग के प्रभाव वाली इस सीट पर अब कुर्मी और पिछड़े वर्ग का असर देखा जा सकता है। पिछले कुछ चुनावों के परिणाम भी इसकी तस्दीक करते हैं। इस सीट के बारे में एक धारणा ये भी है कि यहां से विधायक बनने वाला नेता सियासत में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। राजनीतिक इतिहास बताता हैं कि इस सीट पर कांग्रेस को मात देना आसान नहीं रहा है।