December 23, 2024

क्या टीम इंडिया को अहमदाबाद के दर्शकों ने हरवा दिया? दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम पर क्या हुआ, जिससे ऑस्ट्रेलिया ने जीता वर्ल्ड कप?

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अहमदाबाद । वो कहते ना कि नाम बड़े पर दर्शन छोटे. कुछ ऐसा ही हाल रहा अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम का. 1 लाख 30 हजार दर्शकों की क्षमता वाले दुनिया के इस सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड कप 2023 का फाइनल खेला गया. उम्मीद यही थी कि भारत के लिए फुल सपोर्ट होगा. अपनी टीम को चीयर करने में लोग कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. फाइनल मैच के लिए मैदान पर उमड़े नीले समंदर को देख ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान पैट कमिंस भी थोड़े सहमे थे. लेकिन, इतना कुछ फेवर में होने के बाद भी जो स्टेडियम में देखने को मिला, क्या उसी ने ऑस्ट्रेलिया का काम आसान किया? क्या अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में बैठे दर्शकों ने जो किया, उसके चलते टीम इंडिया को वर्ल्ड कप गंवाना पड़ा?

ये सवाल बड़े हैं. और, ये भी बता दें कि ये हमारे खड़े किए नहीं हैं. बल्कि, वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल में टीम इंडिया की हार के बाद ऐसी हवाएं सोशल मीडिया पर बह रही हैं. वहां भारत की हार के बाद सीधे-सीधे अहमदाबाद के क्रिकेट फैंस, वहां के दर्शकों पर निशाना साधा जा रहा है. वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की हार को अहमदाबाद के दर्शकों से जोड़कर जो देखा जा रहा है, उसके पीछे की एक वजह ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस का बयान भी है.

अहमदाबाद के दर्शकों का गुनाह क्या है?
अब आप सोच रहे होंगे कि अहमदाबाद के दर्शकों का गुनाह क्या है? दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम पर ऐसा क्या हुआ जिसने ऑस्ट्रेलिया को वर्ल्ड कप जिता दिया? जिसे देख ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस फूले समाते नहीं दिखे? तो इन सारे सवालों के जवाब का ताल्लुक नरेंद्र मोदी स्टेडियम में मौजूद दर्शकों के शोर से जुड़ा है. सोशल मीडिया पर भी यही चल रहा है और ऑस्ट्रेलियाई कप्तान का भी ऐसा ही मानना है. इन सबका कहना है कि स्टेडियम में मौजूद दर्शकों का शोर जैसा मचना चाहिए था, वो देखने को नहीं मिला,

शोर नहीं मतलब टीम को सपोर्ट नहीं
अब दर्शकों का शोर नहीं मतलब होम टीम के लिए सपोर्ट नहीं. अहमदाबाद का नरेंद्र मोदी स्टेडियम दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट मैदान है. करीब-करीब पूरा स्टेडियम भारतीय क्रिकेट फैंस से भरा था. लेकिन, कहा जा रहा है कि जब टीम इंडिया को इनके सपोर्ट की जरूरत थी, तब स्टेडियम में शांति थी. सन्नाटा पसरा था. शोर जिस कदर होना चाहिए था नजारा उससे बिल्कुल अलग था.

पैट कमिंस ने भी माना- शोर वैसा नहीं
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस का भी यही कहना था. वर्ल्ड कप जीतने के बाद उन्होंने कहा कि जब वो स्टेडियम पहुंचे थे तो यहां मौजूद नीले समंदर को देख थोड़े नर्वस थे. 1 लाख 30 हजार लोगों को भारतीय जर्सी में देखना उनके लिए कभी ना भूल पाने वाला पल रहेगा. लेकिन, अच्छी बात ये रही कि इन्होंने ज्यादा शोर नहीं मचाया.

उठे ये सवाल- इससे तो अच्छा कहीं और होता फाइनल?
अब जिस स्टेडियम पर शोर ही नहीं मचा उस पर माहौल क्या बनेगा? ये इस बात का भी बड़ा उदाहरण है कि सिर्फ बड़ा मैदान होने से कुछ नहीं होता, उस पर मौजूद दर्शकों का शोर भी उस कदर होना चाहिए. लेकिन, अहमदाबाद में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसे देखकर सोशल मीडिया पर ये भी कहा गया कि इससे तो बेहतर मुंबई, चेन्नई, कोलकाता या बेंगलुरु में टीम इंडिया को दर्शकों का सपोर्ट मिला था. वहां के फैंस को टीम को सपोर्ट करना आता है. अच्छा होता अगर फाइनल वहां होता.

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