November 23, 2024

CG : मतांतरण के आरोपितों को होगी 10 वर्ष तक की सजा, प्रविधानों को सख्त बनाने में जुटा विधि विभाग

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नवगठित भाजपा सरकार मतांतरण रोकने के लिए छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2006 के प्रविधानों को सख्त बनाने की तैयारी कर रही है। सरकार के विधि विभाग ने अन्य राज्यों में लागू मतांतरण विरोधी कानूनों का अध्ययन शुरू कर दिया है।

विधि विभाग के सूत्रों के अनुसार संशोधित कानून में 10 साल तक की सजा का प्रविधान भी शामिल किया जा सकता है। मौजूदा अधिनियम में मतांतरण के दोषी पाए लोगों को तीन साल की जेल की सजा और 20,000 रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रविधान है।

संविधान में नहीं कोई स्पष्ट अनुच्छेद नहीं
संविधान के प्रविधानों पर गौर करें तो मतांतरण को रोकने के लिए स्पष्ट अनुच्छेद उल्लेखित नहीं है, बल्कि अनुच्छेद 25 से लेकर 28 के बीच धार्मिक स्वतंत्रता उल्लेखित किया गया है, जिसमें देश के हर व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की स्वतंत्रता हैं।

शिक्षा व स्वास्थ्य की आड़ में मतांतरण करा रही मिशनरियां
सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य की आड़ में मिशनरियां मतांतरण करा रही है। छत्‍तीसगढ़ के सरगुजा और बस्तर संभाग में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। मतांतरण में मिशनरियों का बोलबाला है। सरगुजा और बस्तर में शिक्षा की अलग जगाना जरूरी है। इससे मतांतरण रुकेगा परिणामस्वरूप हिंदुत्व को ताकत मिलेगी। वह राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से चर्चा कर रहे थे। गौरतलब है कि इससे पहले मुख्यमंत्री साय ने नई दिल्ली में मीडिया के समक्ष दिए बयान में कहा था कि कांग्रेस प्रदेश में मतांतरण करवाती रही है, लेकिन अब हम ऐसा नहीं होने देंगे।

छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री व विधि मंत्री अरुण साव ने कहा, मतांतरण रोकने के लिए जितने कड़े प्रविधानों की आवश्यकता होगी। हम वह सब करेंगे। हम कानून में संशोधन करते हुए इसे और कड़ा करने की योजना बना रहे हैं।

किस राज्य में कौन सा कानून
ओडिशा: पहला राज्य,जहां वर्ष 1967 में कानून लागू। अधिकतम दो वर्ष की जेल और अधिकतम 10 हजार रुपये तक जुर्माना तय किया गया।

मध्यप्रदेश: वर्ष 1968 में मतांतरण पर कानून बनाने वाला दूसरा राज्य बना। वर्ष 2020 में शिवराज सरकार ने कानून में संशोधन किया। अधिकतम 10 वर्ष की कैद और एक लाख तक के जुर्माने का प्रविधान।

झारखंड: वर्ष 2017 में कानून बना। अधिकतम एक लाख रुपये जुर्माना व चार वर्ष की सजा।

उत्तराखंड: वर्ष 2018 में कानून बना। 10 वर्ष की जेल व 50 हजार के जुर्माने की सजा का प्रविधान है। lउत्तर प्रदेश : 27 नवंबर, 2020 को ‘उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून’ लागू। दोषी व्यक्ति को 10 वर्ष की जेल।

कर्नाटक: 30 सितंबर, 2022 को कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण अधिनियम-2022 लागू। कानून का उल्लंघन करने वाले को 3 से 10 साल की जेल का प्रविधान है।

उत्‍तर प्रदेश: 27 नवंबर, 2020 को उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून लागू। दोषी व्‍यक्ति को 10 वर्ष की जेल।

error: Content is protected !!