December 23, 2024

CG : बाजार में आ गई सबसे ‘महंगी भाजी’, खेतों में नहीं पेड़ों पर मिलती है, गर्मियों में सबसे ज्यादा डिमांड, यहाँ प्राप्त करे पौधा…

bohar bhaji

रायपुर। छत्तीसगढ़ के लोग हर मौसम में भाजी खाते हैं। गर्मी का मौसम शुरू होते ही सब्जी मंडियों में तरह-तरह की भाजी मिलनी शुरू हो गई हैं। छत्तीसगढ़ भाजियों के लिए बेहद मशहूर भी माना जाता है। गर्मी शुरू होते ही छत्तीसगढ़ियां लोगों में बोहार भाजी की मांग शुरू हो जाती है। हालांकि शुरुआती दौरे में बाजार में आवक की कमी के कारण इसकी कीमत बाकी सब्जियों से ज्यादा होती है। यह भी कहा जाता है कि इस भाजी को खाने से हेल्थ से जुड़ी कई तरह की समस्याएं खत्म होती हैं।

बोहार भाजी स्वाद से भरपूर होती है, लेकिन इसके लिए जेब भी ढीली करनी पड़ती है। जब यह गर्मियों के सीजन में बाजार में आती है। फिलहाल इस भाजी की कीमत राजधानी रायपुर के बाजारों में 250 रुपए से लेकर 300 रुपये प्रति किलो तक है। जितनी कीमत इस भाजी की है उतनी कीमत पनीर और चिकन की भी नहीं है। यही कारण की कुछ परिवारों की थाली में यह भाजी बहुत लेट से पहुंचती है।

पेड़ों पर उगती है यह भाजी
बोहार भाजी की जितनी चर्चा छत्तीसगढ़ में होती है, उतनी शायद ही किसी और भाजी की होती होगी। यह भाजी खेतों पर नहीं लगाई जाती है बल्कि ऊंचे पेड़ पर मिलती है। बोहार की कलियां और कोमल पत्ते होते हैं, जो कुछ दिनों में फूल बन जाते हैं। इन्हें फूल बनने से पहले ही तोड़ना होता है। तभी ये खाने के काम आ पाती है। उंचे पेड़ की पतली डालियों तक पहुंच कर सिर्फ कलियों को अलग से तोड़ना भी आसान नहीं है।

सब्जी मंडी में भाजी खरीदने पहुंचे अरविंद ने बताया- इस भाजी जैसा स्वाद किसी और भाजी में नहीं है। इस भाजी का रेट भी महंगा होता है। इस भाजी के खाने के कई लाभ भी हैं, माना तो यह भी जाता है कि साल में एक बार इस बोहार भाजी को जरूर खाना चाहिए। ऐस कहा जाता है कि पेट दर्द, कफ और दर्द को दूर करने में यह भाजी बहुत फायदेमंद होती है।

बोहार का पौधा यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं
छत्तीसगढ़ की बोहार भाजी के स्वाद, रुचि व कीमत को देखते हुए कृषि महाविद्यालय व अनुसंधान केंद्र ढोलिया बेमेतरा में विगत दो वर्षों से बोहार भाजी के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। बेमेतरा जिले के रहवासी किसानों ने इसके पौधे खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है। यदि किन्हीं को ज्यादा मात्रा में बोहार भाजी के पौधे की आवश्यकता हो तो कृषि महाविद्यालय, ढोलिया में अग्रिम आदेश दें ताकि उस हिसाब से पौधे तैयार किए जा सके।

किसी भी जगह की खान-पान का तरीका वहां की प्राकृतिक तथा भौगोलिक स्थिति पर निर्भर करती है, छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां मैदानी और जंगली इलाके ज्यादा है, जिसके कारण सब्जियों में भाजी का अधिकतम उपयोग होता है।

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