हलषष्ठी : संतानों की दीर्घायु को लेकर माताएं रख रही कठिन व्रत, इस साल दो दिन तक छठ मुहुर्त
रायपुर। छत्तीसगढ़ में संतान की दीर्घायु को लेकर रखा जाने वाला पर्व हलषष्ठी (कमरछठ) शनिवार को मनाया जा रहा है। पर्व को लेकर राजधानी सहित पुरे राज्य की महिलाओं में जबरदस्त उत्साह हैं। शहर के चौक-चौराहों में पसहर चावल की बिक्री हो रही है। पिछले साल की तुलना में इसमें 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। संतानों की दीर्घायु की कामना लेकर माताएं कमरछठ पर्व पर कठिन व्रत रखकर पूजा-अर्चना करती हैं। आज दिन भर इस व्रत का उपबास लेकर महिलाये पूजन कार्य में लगी है।
हलषष्ठी पूजन
भादो माह के षष्ठी तिथि को हलषष्ठी मनाई जाती है। इस साल हलषष्ठी व्रत 24 अगस्त को दोपहर 12:30 बजे से शुरू होगा और 25 अगस्त को सुबह 10:11 बजे तक रहेगा। कमरछठ पर्व को महिलाएं पूरे उत्साह के साथ मना रही है।
हलषष्ठी पर्व पर माताएं पूजा करने के स्थान पर सगरी खोदकर भगवान शंकर एवं गौरी, गणेश को पसहर चावल, भैंस का दूध, दही, घी, बेल पत्ती, कांशी, खमार, बांटी, भौरा सहित अन्य सामग्रियां अर्पित करती हैं। पूजन पश्चात माताएं घर पर बिना हल के सहारे उत्पादित अनाज पसहर चावल, छह प्रकार की भाजी को पकाकर प्रसाद के रूप में वितरण कर अपना उपवास तोड़ती है।
बिना जोते खेतों में पैदा होता है पसहर
इस पर्व पर उपवास तोडकर खास अन्न पसहर (फसही) चावल का सेवन करेंगी। यह चावल सप्ताहभर पहले बाजार में पहुंच गया है। शहर के अलग-अलग स्थानों और दुकानों में यह चावल बिक रहा है। इस चावल की खास बात यह है कि यह बिना हल के ही खेतों में पैदा होता है।
चावल खाकर व्रत तोड़ने की मान्यता
हलषष्ठी के पर्व पर इस चावल की मांग अधिक होती है। मान्यता है कि, इस चावल से ही व्रत तोड़ने का सदियों पुरानी परंपरा है। बाजार में पसहर चावल 20 से 30 रुपए पॉव में बिक रहा है। इसमें भी अलग-अलग किस्म के पसहर चावल हैं। मोटा और साफ चावल के भाव तय कर दिए गए हैं।