November 24, 2024

कुत्ते ने ऐसा काटा कि उद्योगपति की दर्दनाक मौत…रेबीज टीका नहीं लगवाया तो 20 साल बाद भी जाएगी जान!

नई दिल्ली। इंसान का सबसे पहला कोई वफादार पालतू पशु साथी रहा है तो वो है कुत्ता। ऐतिहासिक साक्ष्य तो यही कहते हैं, जब 30 हजार साल से ज्यादा वक्त से कुत्ते हम इंसानों के साथ रह रहे हैं। यह 10 हजार साल पहले घोड़े को पालतू बनाए जाने से भी ज्यादा पुराना है। भारत के पौराणिक कथाओं में तो महाभारत काल में कुत्ता ही पांडव युधिष्ठिर के साथ सशरीर स्वर्ग जा पाया था। बाकी पांडवों को रास्ते में ही मरना पड़ा था। अब यही कुत्ता हम इंसानों को काट रहा है। यह इतना काट रहा है कि पूरी दुनिया में हर साल कुत्तों के काटने के 10 करोड़ मामले सामने आ रहे हैं। अकेले अमेरिका में कुत्तों के काटने के करीब 1 करोड़ केस सामने आते हैं। भारत में भी करीब 28 लाख ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। ये हालात दिनोंदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। एक उद्योगपति को भी कुत्ते के काटने से जान गंवानी पड़ी है। आइए-समझते हैं कि कुत्तों के काटने के मामले लगातार क्यों बढ़ रहे हैं। आखिर इसकी वजह क्या है? कितना घातक है कुत्तों का काटना?

जब युधिष्ठिर के कहने पर कुत्ते को मिला स्वर्ग
महाभारत काल की एक कथा है। महाभारत युद्ध के बाद जब यदुवंशियों का नाश हुआ। तब महर्षि वेदव्यास के कहने पर पांचों पांडवों ने राज-पाट का सुख छोड़कर सशरीर स्वर्ग जाने का फैसला किया। युधिष्ठिर ने जाने से पहले धृतराष्ट्र के पुत्र और दुर्योधन के भाई युयुत्सु का राज्याभिषेक किया और उसे हस्तिनापुर का राजा बनाया। इसके बाद वे अपने चारों भाइयों को लेकर हिमालय की ओर चल पड़े। सबसे पहले द्रौपदी ने बद्रीनाथ से आगे हिमालय की बर्फ में प्राण त्याग दिए। आगे बढ़ते-बढ़ते नकुल, सहदेव, भीम और अर्जुन भी ब्रह्मलोक प्रयाण कर गए। आखिरकार स्वर्ग के द्वार पर युधिष्ठिर और उनका कुत्ता ही साथ पहुंचे। युधिष्ठिर ने कुत्ते को अपना पुण्य दे दिया, जिससे वह स्वर्ग में सशरीर प्रवेश पाया।

भारत बना रेबीज से होने वाली मौतों की राजधानी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एसोएिशन फॉर द प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ रेबीज इन इंडिया (APCRI) के आंकड़ों के अनुसार, भारत कुत्तों के काटने से होने वाली मौतों के मामले में रेबीज कैपिटल है। कुत्तों के काटने से होने वाली पूरी दुनिया में होने वाली मौतों का 36 फीसदी मौत भारत में ही हो जाती हैं।

देश में हर मिनट 6 लोगों को काटते हैं कुत्ते
भारत में 2021 से कुत्ते काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। बीते तीन साल में यह करीब तीन गुना बढ़ चुका है। 2022 से 2023 के बीच कुत्ते के काटने के केस 21.8 लाख से बढ़कर 27.5 लाख हो चुके हैं। 2018 में कुत्तों ने सबसे ज्यादा 75 लाख लोगों को काटा था। वहीं, अमेरिका में हर साल करीब 45 लाख लोगों को कुत्ते काट लेते हैं।

वाघ बकरी के चाय के मालिक पराग देसाई की डाग बाइट्स से मौत
बीते साल वाघ बकरी के मालिक पराग देसाई की कुत्ते के काटने से मौत हो गई थी। बताया जा रहा था कि सुबह-सुबह वो मॉर्निंग वॉक पर निकले थे, जब कुछ अवारा कुत्तों ने उन पर हमला कर दिया। हमले के बाद उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था, मगर उन्हें बचाया नहीं जा सका। उस वक्त कई रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि पराग देसाई को कुत्ते के काटने के बाद ब्रेन हेमरेज हो गया, जिससे मस्तिष्क में ब्लीडिंग हो गई। PubMed की एक रिपोर्ट बताती है कि कुत्ता काटने के बाद अगर रेबीज वायरस फैल जाता है तो ये ब्रेन डैमेज का कारण बन सकता है।

पूरी दुनिया में हर साल रेबीज से 60 हजार गंवाते हैं जान
दुनियाभर में रेबीज का खतरा बढ़ता जा रहा है। हर साल रेबीज से क़रीब 60 हजार लोगों की जान जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक इनमें से 99 फीसदी मामले कुत्ते के काटने और खरोंच के हैं।

चेक गणराज्य से लेकर जर्मनी तक हजारों साल से रह रहे कुत्ते
यूरोप में एक देश है चेकोस्लोवाकिया, जिसे अब चेक रिपब्लिक कहते हैं। यहां के प्रेडमोस्टी साइट पर मुंह में हड्डी लिए एक कुत्ता दफन है। माना जाता है कि यह कुत्ता 32 हजार साल पुराना है। वहीं, जर्मनी में ओबेर कैसेल में एक महिला और पुरुष के बीच में कुत्ते का दफनाया गया है। रेडियो कार्बन डेटिंग में इस कुत्ते को 14,300 साला पुराना माना गया है। 6 हजार साल पहले मिस्र की अनुबिस सभ्यता, मध्य अमेरिका की माया सभ्यता और यूनान की सरबेरस सभ्यता में इंसान के साथ कुत्तों के रहने के साक्ष्य मिले हैं। चेक गणराज्य में कुत्ते के इंसान के साथ दफनाए जाने के साक्ष्य भी मिल चुके हैं।

रेबीज का इतिहास 4,000 साल पुराना, लैटिन अमेरिकी देशों से लापता
boehringeringelheim.com पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, रेबीज का इतिहास कम से कम 4,000 साल पुराना है, जब यह हकीकत लोगों को पता चली कि कुत्ते के काटने से मौत हो सकती है। प्राचीन इराक में तो कुत्तों के काटने पर जुर्माना भरने तक के नियम बनाए गए थे। मौजूदा वक्त में 99 फीसदी रेबीज के मामले अफ्रीका और एशिया में हैं। यह लैटिन अमेरिकी देशों से गायब ही हो चुके हैं, जहां साल भर में करीब 20 ही रेबीज के मामले सामने आते हैं।

बिल्ली, बंदर और खरगोश के काटने से भी रेबीज
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 60-70 लाख एनिमल बाइट्स के केस आते हैं। इनमें 99 फीसदी मामले डॉग बाइट के होते हैं, जबकि सिर्फ दो फीसदी बिल्‍ली, बंदर, खरगोश वगैरह के होते हैं।

कुत्ते सबसे ज्यादा बच्चों को काटते हैं, उन्हें बचाना जरूरी
एक अध्ययन के अनुसार, कुत्ते सबसे ज्यादा बच्चों को काटते हैं, जो उनके लिए आसान शिकार हैं। अमेरिका में करीब 50 फीसदी बच्चों को कुत्ते कभी न कभी जरूर काट लेते हैं। 12 साल की उम्र तक के बच्चे इसके ज्यादा शिकार होते हैं। वहीं, दूसरे नंबर पर बुजुर्गों को कुत्ते काट खाते हैं। ऐसे में बच्चों या बुजुर्गों को कुत्तों से बचाना बेहद जरूरी है, क्योंकि इन दोनों ही उम्र वालों में इम्यून सिस्टम युवाओं जितना ताकतवर नहीं होता है।

कुत्ते का काटना कब खतरनाक हो जाता है
कुत्ते के काटने से रेबीज जिसे आम बोलचाल में अलर्क या जलकांटा कहते हैं, हो जाती है। यह एक वायरस से होने वाली बीमारी है, जिस वजह से दिमाग तेजी से सूज (इन्सेफिलाइटिस) हो जाता है। रेबीज रोग रेबिड़ोविरडी परिवार के लैसा वायरस (Lyssa Virus) से होता है। यह एक न्यूरोट्रॉपिक वायरस है जो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसे हाइड्रोफोबिया या जलकांटा भी कहते हैं, क्योंकि इसमें मरीज को पानी से डर लगता है। शुरुआती लक्षणों में तज बुखार और झुनझुनी होती है। अगर मरीज हिंसक हो जाए और उसे भ्रम व होश खो देने जैसी स्थिति में आ जाए तो मौत तकरीबन तय है।

क्या कुत्ते के काटने के 20 साल बाद भी रेबीज हो सकता है जानलेवा?
रांची में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर रविकांत चतुर्वेदी कहते हैं कि कुत्ते आमतौर पर दो स्थितियों में इंसानों को काटते हैं। पहला, जब कोई व्यक्ति किसी कुत्ते को छेड़ता है और जब कुत्ता काटता है तो आमतौर पर यह रेबीज का कारण नहीं बनता। वहीं, दूसरी स्थिति में जब कुत्ता बिना किसी कारण के (व्यक्ति जब कुत्ते को छेड़ता, डराता या मारता नहीं है) काटता है तो ऐसे में रेबीज का खतरा बहुत अधिक बढ़ सकता है।
दरअसल, रेबीज के कारण कुत्ता बदहवास हो जाता है और ऐसे में यहां-वहां भटकता रहता है और सामने आने वाले लोगों को काट लेता है। इसीलिए, कुत्ता काटने के बाद लोगों को बहुत सावधानियां बरतने के जरूरत पड़ती है। कुत्ते के काटने के बाद अगर व्यक्ति को रेबीज की बीमारी हो जाए तो उसकी जान जा सकती है। कई बार रेबीज का असर 20 साल बाद भी दिखाई दे सकता है और उस समय इंसान की जान जा सकती है।

कुत्ते का काटने का असर बरसों तक रहता है। हो सकता है कि शुरुआती दिनों या वर्षों में इसका असर व्यक्ति की इम्यूनिटी की वजह से न हो, मगर जब कभी इंसान कमजोर पड़ता है तो ये वायरस फिर से एक्टिव हो जाते हैं। ऐसे में जब भी कुत्ता काटे तो फौरन रेबीज का टीका जरूर लगवा लेना चाहिए। कोई भी झाड़-फूंक या नुस्खे का इस्तेमाल करना कुत्ते के काटने से पीड़ित व्यक्ति को मौत के मुहाने तक पहुंचा सकता है। ऐसे में कतई देरी और लापरवाही न करें। मरीज को फौरन रेबीज का टीका दिलवाएं।

नमक, हल्दी या लाल मिर्च रगड़ने से नहीं टलेगी मौत
नेशनल रेबीज कंट्रोल प्रोग्राम गाइडलाइंस के अनुसार कुत्ते का काटना 100 फीसदी घातक है। अगर पीड़‍ित को सही समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिलता है तो उसकी मौत होनी तय है। ऐसी लापरवाही कतई न करें। कुत्ते के काटने पर खून संक्रमित हो जाता है और खून जहरीला होने लगता है। बहुत से लोग इस जहर को कम करने के लिए घाव पर नमक, हल्‍दी पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, नींबू, खड़‍िया या मिट्टी लगाने लगते हैं। कुछ लोग पीपल के पत्ते भी घाव पर लगाते हैं। मगर, ऐसी कोई भी चीज मरीज की जान नहीं बचा सकती है। साथ ही झाड़-फूंक भी काम नहीं आती है। इस तरह की किसी भी सलाह को बिल्‍कुल न मानें और हर हाल में रेबीज का टीका समय से लगवाएं।

भारत में कुत्ते के काटने पर 10 हजार, अमेरिका में 42 लाख हर्जाना
भारत में कुत्ते के काटने पर 10 से 20 हजार रुपए तक हर्जाना मांगा जा सकता है। बीते साल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा था कि डॉग बाइट के मामलों में पीड़ितों को कुत्ते के हर एक दांत के निशान पर कम से कम 10,000 रुपए बतौर हर्जाने के दिए जाएं। कुत्ते के काटे जाने से त्वचा में घाव होने या फिर मांस निकल जाने पर 0.2 सेंटीमीटर घाव के लिए कम से कम 20,000 रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, अमेरिका में यह हर्जाना कम से कम 42 लाख रुपए तक हो सकता है।

डॉग बाइट के बाद कब और कितने टीके लगवाने चाहिए ?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, रेबीज वैक्सीन ऐसे लोगों को जरूर लगवानी चाहिए, जिनके घर में पालतू कुत्ते हैं। या ऐसे लोग जो जल्द ही कुत्ता खरीदने वाले हैं। या ऐसे लोग जो ऐसी जगहों पर जाते हैं जहां रेबीज के केसेस अधिक पाए जाते हैं या जहां आवारा कुत्ते अधिक हों। कुत्ता काटने के बाद होने वाली रेबीज की बीमारी से बचने के लिए 2 प्रकार के वैक्सीनेशन कराए जा सकते हैं।
कुत्ता काटने के बाद पीड़ित व्यक्ति को 3 इंजेक्शन लेने पड़ते हैं। जिनमें से पहला इंजेक्शन डॉग बाइट के तुरंत बाद और उसी दिन लेना चाहिए जिस दिन कुत्ते ने काटा हो। वहीं दूसरा इंजेक्शन 3 दिनों के बाद लिया जाता है और तीसरा इंजेक्शन कुत्ते के काटने के सात दिन बाद ले लेना चाहिए।
एहतियाती तौर पर भी पहले से ही वैक्सीनेशन करा सकते हैं जो कुत्ते के काटने के बाद होने वाली बीमारियों से सुरक्षा दिला सकती है। इन्हें Pre-exposure vaccination कहा जाता है।

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