CG में आंखों की बीमारी का कहर, कई लोग हो रहे अंधे, स्वास्थ्य विभाग ने ग्लूकोमा का किया दावा…
रायपुर/एमसीबी। छत्तीसगढ़ के धमतरी और दंतेवाड़ा में मोतियाबिंद ऑपरेशन के बाद जहाँ एक तरफ मरीजों की सेहत बिगड़ रही हैं, मरीजों को देखने में परेशानी ही रही हैं वही दूसरी तरफ सूबे के इस गाँव में रहस्यमयी बीमारी ने लोगों की जिंदगी में अंधेरा लाना शुरू कर दिया है। गांव के करीब 40 परिवार इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं। इस बीमारी की वजह से युवावस्था में लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है। वही कुछ और जिलों में धूल और प्रदूषण से आँखों की रौशनी प्रभावित होने की खबर हैं।
साहब हमें बचा लीजिए, धीरे धीरे हमारा जीवन अंधकार में डूब रहा है. ये गुहार मनेंद्रगढ़ के केराबहरा गांव के लोगों की है. यहां एक रहस्यमयी बीमारी ने लोगों की जिंदगी में अंधेरा लाना शुरू कर दिया है. जन्म के बाद सामान्य रूप से जीवन जी रहे ग्रामीणों को जवानी की दहलीज पर अंधकार में यह बीमारी धकेल रही है. गांव के करीब 30 से 40 परिवार इस दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हैं. इस बीमारी की वजह से युवावस्था में लोगों की आंखों की रोशनी जा रही है. लोग इसे दुर्लभ बीमारी बता रहे हैं. जबकि स्वास्थ्य विभाग इसे ग्लूकोमा बता रहा है. ग्लूकोमा का कहर केराबहरा गांव में बढ़ने से निवासी बेहद परेशान हैं.
इस बीमारी से परेशान लोग इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं. लोगों की जिंदगी दूभर होती जा रही है. जैसे ही यहां के रहने वाले लोग तीस से चालीस साल की अवस्था में आते हैं. उनकी आंखों की रोशनी जाने लगती है. कई तरह का इलाज करा चुके लोगों को अब तक बीमारी का पता नहीं चला है. यह बीमारी धीरे धीरे असर करती है और लोगों की आंखों की ज्योति चली जाती है.
केराबहरा गांव के लगभग 40 सदस्य जैसे ही 20 से 40 साल की उम्र पार करते हैं, उनकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे जाने लगती है. कुछ वर्षों बाद कई सदस्यों को पूरी तरह अंधा बना देती है. पहले परिवार के सदस्य सामान्य जीवन जीते थे, पर अब धीरे-धीरे यह बीमारी उनकी जिंदगी को एक गहरे अंधकार में तब्दील कर रही है: राम बाई,सरपंच, केराबहरा गांव
इस बीमारी को लेकर हम कई बार अस्पताल गए. हमारी सुध किसी ने नहीं ली. कोई डॉक्टर की टीम गांव नहीं आई और न ही किसी चुने हुए प्रतिनिधि ने हमारी मदद की है. हमने कई बार आवेदन किया है. उसके बावजूद हमारी सुनने वाला कोई नहीं है. अब ऐसा लगता है कि सरकार हमें गोली मार दे तो बेहतर होगा: केराबहरा गांव में बीमारी से पीड़ित लोग
मैं स्वयं गांव जाकर प्रभावित लोगों के आंख की जांच करूंगा. आवश्यकता अनुसार ऑपरेशन भी करवाया जाएगा: डॉक्टर अविनाश खरे, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, मनेंद्रगढ़
इस बीमारी को लेकर जब जनरपट ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने इसे गंभीर बीमारी बताया. जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अविनाश खरे ने बताया कि यह अनुवांशिक बीमारी है जिसे ग्लूकोमा कहा जाता है. इसकी और जांच कराई जाएगी. उन्होंने आश्वासन दिया कि हमारी तरफ से प्रभावित परिवारों का निशुल्क इलाज कराया जाएगा. एक तरफ लोग इसे दुर्लभ बीमारी बता रहे हैं जबकि स्वास्थ्य विभाग इसे ग्लूकोमा बीमारी करार दे रहा है. अब देखना होगा कि लोगों की यह बीमारी कैसे ठीक होती है.
दंतेवाड़ा जिले में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद 10 मरीजों की हालत बिगड़ गई थी। जिसके बाद उन्हें राजधानी रायपुर के मेकाहारा में भर्ती करवाया गया है। इसी बीच रविवार को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने रायपुर के मेकाहारा का निरीक्षण किया। श्री जायसवाल ने अस्पताल में भर्ती मरीजों को मिल रही सुविधाओं का जायजा लिया और मरीजों से बात कर उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना की। दंतेवाड़ा से आए मोतियाबिंद ऑपरेशन कराने वाले मरीजों से भी मुलाकात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल के स्टाफ और चिकित्सकों से भी बात कर उन्हें बेहतर काम करने और मरीजों की उचित देख देख करने के निर्देश दिए।
धमतरी (Dhamtari) जिले में जिला अस्पताल (District Hospital) में आंखों का ऑपरेशन (Eye Operation) कराने पहुंचे 4 मरीजों को ऑपरेशन के बाद दिखना बंद हो गया. जांच-पड़ताल में यह बात समाने आयी कि जिनके आंखों की रोशनी गई है उनमें घातक इन्फेक्शन (Eye infection) पाया गया है. इस संक्रमण का नाम एंडोफ्थालमिटिस इंफेक्शन है. यह काफी खतरनाक संक्रमण है. वहीं अब धमतरी जिला अस्पताल में आंखों के ऑपरेशन पर रोक लगा दी गई है, जब तक सैंपल रिपोर्ट रायपुर से नहीं आ जाती तब तक ऑपरेशन बंद रहेगा. धमतरी के जिला अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराने के बाद 4 मरीजों को दिखना बंद हो गया. उसके बाद इन चारों मरीज को अस्पताल में एडमिट करके रखा गया है. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सूर्यवंशी के अनुसार मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद दूसरे दिन आंखों की पट्टी खोली जाती है..इस दौरान मरीज के आंखों में अगर इंफेक्शन या संक्रमण होते हैं तो मरीज के आंखों से दिखाई देना बन्द हो जाता है. इसके साथ ही आंखों में ज्यादा दर्द होना जैसे लक्षण सामने आते हैं. जो काफी खतरनाक और घातक साबित हो सकते हैं. अगर आंखों में इस तरह का इंफेक्शन होता है और इसका तत्काल उपचार नहीं किया जाए तो आंखों की रोशनी जाने का भी खतरा बना होता है.