April 1, 2025

‘इंडिया’ का नाम बदलकर भारत… दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र को पक्ष रखने के लिए दिया समय, जानें-किस याचिका पर हुई सुनवाई

INDIA-BBB

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र के वकील को संविधान में संशोधन करने और ‘इंडिया’ शब्द की जगह ‘भारत’ या ‘हिंदुस्तान’ करने के लिए सरकार को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका पर निर्देश प्राप्त करने के लिए समय दिया है। यह याचिका 4 फरवरी को जस्टिस सचिन दत्ता के सामने सुनवाई के लिए आई थी और अदालत ने इसे 12 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए रखा था। याचिकाकर्ता का कहना है कि ‘इंडिया’ नाम औपनिवेशिक अतीत की निशानी है। यह नाम हमारी संस्कृति नहीं दर्शाता।

पहले सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका
कोर्ट ने कहा, ‘शुरुआत में अग्रिम सूचना पर मौजूद प्रतिवादी संख्या एक और चार (केंद्र) के वकील ने निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय मांगा है।’ याचिकाकर्ता ने पहले सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में इस याचिका को एक ज्ञापन की तरह माना था। कोर्ट ने कहा था कि संबंधित मंत्रालय इस पर विचार कर सकते हैं। अब याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उनकी मांग है कि अधिकारी उनके ज्ञापन पर फैसला लें।

क्या है याचिकाकर्ता की दलील?
याचिका में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ता के पास फिलहाल याचिका के माध्यम से इस कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है, क्योंकि याचिकाकर्ता के ज्ञापन पर लिए गए किसी भी फैसले के बारे में प्रतिवादियों की ओर से कोई अपडेट नहीं है।’ याचिकाकर्ता का तर्क है कि ‘इंडिया’ नाम देश की संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता। इस नाम को ‘भारत’ में बदलने से नागरिकों को ‘औपनिवेशिक बोझ’ से मुक्ति मिलेगी। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन की मांग की गई है। यह अनुच्छेद संघ के नाम और क्षेत्र से संबंधित है।

1948 में संविधान सभा की बहस का भी जिक्र
याचिका में 1948 में संविधान सभा की बहस का भी जिक्र है। यह बहस तत्कालीन मसौदा संविधान के अनुच्छेद 1 पर हुई थी। याचिका में कहा गया है कि उस समय भी देश का नाम भारत या हिंदुस्तान रखने की मांग उठी थी। याचिका में कहा गया है, ‘हालांकि अब समय आ गया है कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम यानी भारत से पहचाना जाए, खासकर तब जब हमारे शहरों के नाम बदलकर भारतीय लोकाचार के अनुरूप पहचान बनाई गई है।’

याचिकाकर्ता का मानना है कि जिस तरह कई शहरों के नाम बदलकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप किए गए हैं, उसी तरह देश का नाम भी बदलना चाहिए। यह बदलाव देश की असली पहचान को दर्शाएगा।

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