March 30, 2025

CG में खाद की खपत बढ़ी : केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जताई चिंता, 7 जिलों में जांच के निर्देश

shivraj letr

रायपुर। छत्तीसगढ़ में अचानक से खाद की खपत बढ़ गई हैं। इस बढ़ी हुई खपत को लेकर केंद्र भी चिंतित हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री राम विचार नेताम को पत्र लिखकर राज्य के सात जिलों में अधिक खाद की खपत पर चिंता जताई है। रायपुर और बिलासपुर समेत इन जिलों में खाद का उपयोग सामान्य से कहीं अधिक हो रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इसके पीछे के कारणों की जांच करने और समस्या का समाधान करने का आग्रह किया है। बता दें राज्य सरकार पहले ही कृषि विभाग द्वारा प्रतिवेदित धान और सोसायटियों के माध्यम से खरीदी किये गए धान की मात्रा को लेकर सवालों के घेरे में हैं। ऐसे में अब खाद की खपत को लेकर भी तरह तरह की चर्चाये होने लगी हैं।

जानकारी के मुताबिक़ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री राम विचार नेताम को एक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने राज्य के सात जिलों में खाद की अधिक खपत पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति कृषि और पर्यावरण दोनों के लिए चिंताजनक है।

किन जिलों में है समस्या?
रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बालोद, कबीरधाम और महासमुंद जिलों में खाद का उपयोग सामान्य से कहीं अधिक हो रहा है। इन जिलों में किसानों द्वारा खेतों में अत्यधिक मात्रा में रासायनिक खाद का प्रयोग किया जा रहा है, जो मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण के लिए हानिकारक है।

ज्यादा खाद उपयोग के कारण
केंद्रीय मंत्री ने पत्र में कहा कि ज्यादा खाद उपयोग के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे किसानों को जागरूकता की कमी, खाद की गुणवत्ता में कमी, या फसलों की पैदावार बढ़ाने की जल्दबाजी। उन्होंने इन कारणों की गहन जांच करने और समस्या का समाधान करने का आग्रह किया है।

क्या हो सकते हैं नुकसान?
अत्यधिक खाद के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम होती है और भूजल प्रदूषित होता है। इसके अलावा, यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस समस्या का तुरंत समाधान करना जरूरी है, ताकि कृषि और पर्यावरण दोनों को नुकसान से बचाया जा सके।

टैक्स छूट का तो खेल नहीं !!
रायपुर जहाँ राज्य बनने के बाद से ही खेती का रकबा लगातार कम होता जा रहा हैं। वहां पर खाद की खपत बढ़ना सही मायनों में जांच का विषय है। सूत्र बताते हैं की कृषि व्यवसाय और उसमें उपयोग के लिए ख़रीदे जाने वाले उपकरण व उर्वरक इत्यादि पर सब्सिडी या आय में छूट के चलते तो कहीं कोई खेला नही कर रहा हैं। दूसरी तरफ ज्यादा खाद से जमीन की उर्वरा शक्ति ख़राब होगी वहीँ उतपन्न खाद्यान्न की गुणवत्ता भी सेहत के अनुरुप नहीं रह पाएगी। ऐसे में इस मामले की जांच आवश्यक हैं।

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