KCC लोन घोटाले का बड़ा खेल : मृतकों के नाम से निकाल ली इतनी बड़ी राशि, पूरा मामला जान चौंक जाएंगे आप
बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में सहकारी समिति और बैंक के अधिकारियों ने मिली भगत करते हुए फर्जी हस्ताक्षर कर दर्जनों किसानों के नाम पर लगभग 40 लाख रुपए की राशि का फर्जीवाड़ा किया है. यहां तक की मृत किसान के नाम से लोन के पैसे निकाल लिए हैं. इसका खुलासा होते ही जिले में हड़कंप मच गया है. पूरा मामला जिले के जिले के उमरिया सेवा सहकारी समिति के बेरा गांव का है.
जानकारी के मुताबिक़ जिले के ग्राम बेरा के रहने वाले मृतक किसान सुखदेव वर्मा की मृत्यु 24 अप्रैल 2021 को हो गई थी. उसके नाम से 2 लाख 46 रुपए के केसीसी लोन निकाला गया है. वहीं कुछ किसानों ने बैंक से नोटिस मिलने के बाद डर के कारण राशि जमा भी कर दिए हैं. फेकू राम साहू इंडियन ओवरसीज बैंक से ढाई लाख रुपये केसीसी ली हुई है. लेकिन जब वह धान बेचने पहुंचे तो धान बेचने के बाद 175513 रुपए कर्ज के रूप में काट दिया और ₹1 भी उसे नहीं मिला. जब उसने अफसरों से जानकारी ली तो उसके होश ही उड़ गए. कई किसान खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं।
इसी तरह रमेश वर्मा के नाम से 156000, डोमन वर्मा के नाम से भी एक लाख 50 हजार का मामला सामने आया है. कुछ किसान धान बेचने के लिए पहुंचे. यहां केसीसी की राशि काटी तब पता चला कि उन्होंने इस बैंक से कर्ज उठाया है. जबकि वास्तव में उन्होंने कर्ज नहीं लिया था. जिसके बाद सहायक समिति प्रबंधक लाल चंद्राकार के द्वारा उन्हें राशि लौटाने का वादा करते हुए चेक दिया गया है।
इस मामले पर उप आयुक्त सहकारी संस्थाएं बसंत कुमार ने यह स्वीकार किया की केसीसी के राशि में गोलमाल की खबर आई हुई है और यह मुद्दा जिला पंचायत के सामान्य सभा भी उठा हुआ है. इसको लेकर उन्होंने जांच के लिए नोडल अधिकारी को नियुक्त किए हैं और जल्द ही वह रिपोर्ट देंगे जिस पर आगे कार्रवाई की जाएगी.
छत्तीसगढ़ के किसान ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होते हैं जिसका सीधा फायदा समिति व बैंक के अधिकारी उठाते हैं. उन्हें दस्तावेजों में हस्ताक्षर लेकर उनकी राशि निकाल दी जाती है, इस सोसाइटी से सिर्फ एक गांव का यह मामला सामने आया है जहां लगभग 40 लख रुपए से अधिक का फर्जीवाड़ा हुआ है इसके अंतर्गत चार से पांच गांवों और आते हैं वहां भी अगर बारीकी से जांच की जाए तो और बड़ी राशि के गोलमाल का मामला उजागर होगा अब देखने वाली बात है कि अधिकारियों से राशि की वसूली की जाती है?