November 23, 2024

CG : तांत्रिक विधा से बना देश का इकलौता गणेश मंदिर, शमी के पेड़ से निकले हैं गणपति, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना….

राकेश तिवारी

छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में नवागढ़ स्थित सिद्ध गणेश मंदिर की स्थापना 1312 वर्ष पहले तांत्रिक विधा से की गई थी। इस सिद्ध मंदिर के अग्रभाग में शमी वृक्ष देवतुल्य विराजित है। धर्म के मर्म को जानने वाले इसे एक दुर्लभ संयोग बताते हैं। श्रीगणेश की पूजा के बाद शमी पत्र को प्राप्त कर भक्त धन्य हो जाते हैं।

सन् 704 में की राजा ने स्थापना
देश में अपनी तरह का पहला मंदिर का गौरव प्राप्त नवागढ़ के सिद्ध गणेश मंदिर का अपना अलग इतिहास है। सन् 704 में नवागढ़ रियासत के राजा नरबर साय ने श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित की। मंदिर के अग्रभाग में तांत्रिक विधा से शमी वृक्ष विराजित है। मंदिर परिसर में अष्टकोणीय कुआं, विशालकाय पत्थरों के लेख, पुरातन विधा व गौरवशाली इतिहास के साक्षी हैं। धार्मिक ग्रंथों के अग्रणी प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर ने इस सिद्ध गणेश मंदिर को देश के दुर्लभ मंदिरों में से एक बताया था।

शमी वृक्ष का होना दुर्लभ संयोग
धर्म के मर्म को जानने वाले मानते हैं कि नवागढ़ के गणेश मंदिर के अग्रभाग में शमी वृक्ष एक दुर्लभ संयोग है। जिसका दूसरा कहीं कोई उदाहरण नहीं मिलता है। शमी वृक्ष को साक्षात शनि का अवतार माना गया है। इसके पूजन-दर्शन व स्पर्श मात्र से विशेष प्रभाव पड़ता है व विकारी तत्वों से मुक्ति मिलती है। नवागढ़ के इस चमत्कारी तीर्थ में कष्टों के निवारण व मंगलकामना के लिए देश के कोने-कोने से वर्षभर भक्तों के आने का क्रम जारी रहता है।

बढ़ रहे देवगण
मंदिर के चारों ओर राज्य व देश के सिद्ध गणेश मंदिर की दुर्लभ मूर्तियों की प्रतिकृतियां स्थापित की गई हैं। जो एक ही जगह संपूर्ण तीर्थ का दर्शन कराती है। सभी ऐतिहासिक महत्व के हैं, जैसे सिद्धी टेक, जिला नागर महाराष्ट्र, गिरिजात्मज पुणे, चिंतामणी पुणे, महागणपति, वरद विनायक, मयूरेश्वर, बल्लालेश्वर, विघ्नेश्वर में स्थापित गणेश के दर्शन नवागढ़ के इस मंदिर में किए जा सकते हैं।

मंदिर के अंदर छिपा है रहस्य
नवागढ़ के श्री सिद्ध शमी गणेश मंदिर के गर्भगृह के बाजू में गुफा है. जिसमें कई अनेक रहस्य छुपे हुए हैं. गुफा में 55 वर्षों से विगत श्री अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की गई है. वहीं गौरी माता की मूर्ति है जो श्री सिद्ध शमी गणेश को निहार रही है. गणेश की मूर्ति गौरी मैया को निहारते नजर आती है. गर्भगृह में जाने पर रोक लगा दिया गया है, लेकिन पुजारी वहां जाकर दीप प्रज्ज्वलित करते हैं और गौरी देवी का पूजन करते हैं. पुरातत्व विभाग यदि मंदिर के आसपास खोज करे तो बड़े रहस्य का पता चल सकता है.

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