CG : डाकघर में बड़ा गबन!, पास बुक में हेराफेरी कर ऐसे लगा दी 50 लाख रुपये की चपत…
बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत बीजभाट के उप डाकघर के अंतर्गत बीजाभाट, जेवरी, अमोरा फ़री, बहिगा, बहेरघट, बहिंगा व नवागांव आते हैं, इन गांवों के लोगों ने अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई को सुरक्षित रखने के लिए उप डाकघर में जमा किया था, लेकिन अधिकारी के द्वारा ही पासबुक में हेराफेरी कर लाखों रुपए गबन करने की बात सामने आ रही है.
2000 लोग फिलहाल सामने आए
उप डाकघर का पिछले 35 सालों से संचालन हो रहा है और यहां पर लोग अपनी कमाई के पैसे को जमा करते थे, जिसमें बचत खाता, बीमा खाता, फिक्स डिपाजिट,आर.डी खाता, एसएचजी, मनरेगा खाता, सुकन्या योजना के खाते के अलावा अन्य खाते भी यहां संचालित होते थे, फिलहाल जो मामला सामने आया है, उसके बाद लगभग 2000 लोग फिलहाल सामने आए हैं. यह सिर्फ एक या दो गांव के ही लोग हैं, बाकि अन्य गांव के लोग अभी तक सामने नहीं आ पाए हैं.
तोड़ दिया 15 सालों का भरोसा
उप डाकघर के पोस्ट मास्टर संजू ठाकुर पिछले 15 सालों से यहां पदस्थ हैं, और लोगों में अपना विश्वास जीत लिया था, इसके बाद पोस्टमास्टर व उसके सहायक लोकेश सिन्हा के द्वारा बड़ी चालाकी के साथ उसने यह गबन किया है. ग्रामीणों के द्वारा दिए जाने वाले नगद राशि व अपने पास रख लेता था, यहां तक विड्रोल व जमा पर्ची में हस्ताक्षर कर रख लेता था, वह वापस नहीं करता था. पैसा लेने के बाद वह प्रधान डाकघर को ऑनलाइन रुपए जमा नहीं करता और वह पैसे को अपने पास रख लेता था. अगर कोई खाताधारक उसे पासबुक मांगता तो फिर वह पासबुक में जमा दिखाकर वह पासबुक भी अपने पास रख लेता था, विश्वास में लोग उससे पासबुक मांगते नहीं थे.
पेंशन की राशि में भी गोलमाल
पोस्ट मास्टर की ओर से सबसे ज्यादा हेराफेरी बीमा खाता,फिक्स डिपाजिट, आरडी खाता के अलावा शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत आने वाले राशियों में किया गया. सबसे ज्यादा परेशानी जो छोटे बचत के लोग थे, जो ₹500 से लेकर हजार रुपए जमा करते थे. ऐसे खाताधारकों की संख्या ज्यादा है. इसके अलावा सुकन्या समृद्धि योजना, शासन की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन सहित अन्य मिलने वाले पेंशन की राशि में भी उन्होंने बड़े गोलमाल किए हैं.
ऐसे हुआ खुलासा
उप डाकघर में मामले का खुलासा तब हुआ जब जिला स्तर पर किसी बात को लेकर शिकायत हुई. शिकायत के बाद जांच के लिए टीम पहुंची, तो यह पूरा मामला सामने आया, तब कहीं जाकर ग्रामीणों राशि की गोलमाल होने की जानकारी मिली. जिसके बाद वह अपने पासबुक लेने के लिए डाकघर पहुंचे.
पासबुक को डाकघर में क्यों छोड़ा?
जिला स्तर से आई हुई टीम पासबुकों को जब्त कर अपने साथ ले गई, लेकिन उन पासबुकों में कुछ नहीं था, सिर्फ खाता खोलने की जो राशि है ₹100 और ₹200 ही जमा की इंट्री थे, जिसके बाद सभी पासबुकों को वापस डाकघर लाकर छोड़ दिया गया. जहां पर ग्रामीण अब पहुंचकर अपने पासबुक को ढूंढ रहे हैं. पर उनके द्वारा जमा की गई राशि को पासबुक में लिखा ही नहीं गया, न ऑनलाइन में दिख रहा है न पासबुक में दिख रहा है, जिसको लेकर वह परेशान है.