अगले एक साल में बैंक सखियों की संख्या तीन हजार तक पहुंचाने का लक्ष्य
०० बैंक सखी तैयार करने बिहान द्वारा कार्यशाला आयोजित, ग्रामीण विकास मंत्रालय व नेशनल एकेडमी ऑफ रूडसेट के वरिष्ठ अधिकारियों ने दिया प्रशिक्षण
०० सुदूर अंचलों में अभी 1361 बैंक सखी कर रही हैं पेंशन, मनरेगा मजदूरी और छात्रवृत्ति भुगतान
रायपुर| छत्तीसगढ़ के वनांचलों और दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में अगले एक वर्ष में तीन हजार बैंक सखियों के माध्यम से बैंकिंग सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) द्वारा आज निमोरा स्थित ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान में आयोजित कार्यशाला में इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण, उपकरण, बैंकों से समन्वय और आई.आई.बी.एफ. (Indian Institute of Banking & Finance) से प्रमाण-पत्र हासिल करने के संबंध में गहन विचार-विमर्श किया गया।
भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के नेशनल मिशन मैनेजर श्री त्रिविक्रम एवं नेशनल एकेडमी ऑफ रूडसेट, बंग्लुरू के महाप्रबंधक श्री आर.आर. सिंह ने प्रदेश के सभी 18 आर-सेटी (RSETI – Rural Self Employment Training Institutes) संचालकों और सभी जिलों से आए मिशन प्रबंधकों को निर्देशित किया। उन्होंने इस संबंध में भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के संयुक्त मिशन संचालक श्री जे.पी. तिर्की और आर-सेटी के राज्य संचालक श्री प्रसन्ना झा भी मौजूद थे। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के नेशनल मिशन मैनेजर श्री त्रिविक्रम ने कार्यशाला में कहा कि भारत सरकार की मंशा हर ग्राम पंचायत में बैंक सखी नियुक्त करने की है। इसके लिए बैंक सखी के लिए उपयुक्त महिला का चयन कर आर-सेटी के माध्यम से व्यापक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। गांव-गांव तक बैंकिंग सेवा पहुंचाने का यह मॉडल टिकाऊ (Sustainable) और भरोसेमंद रहे, इसके लिए बैंक सखियों का सुप्रशिक्षित व दक्ष होना जरूरी है। उन्होंने पर्याप्त संख्या में बैंक सखी तैयार करने पात्र महिलाओं का चयन कर जल्द से जल्द प्रशिक्षण शुरू करने कहा। नेशनल एकेडमी ऑफ रूडसेट, बंग्लुरू के महाप्रबंधक श्री आर.आर. सिंह ने बैंक सखी तैयार करने में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने प्रशिक्षण की विषय वस्तु, अध्ययन सामग्री, उपकरण और तकनीकी जरूरतों के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। श्री सिंह ने कहा कि बैंक सखियों का आई.आई.बी.एफ. द्वारा सर्टिफिकेशन जरूरी है। उन्होंने इसके लिए ली जाने वाली परीक्षा के लिए सभी तकनीकी संसाधन जुटाने कहा। उन्होंने बताया कि आई.आई.बी.एफ. ने प्रमाण-पत्र के लिए ऑनलाइन परीक्षा हेतु सभी आर-सेटी को परीक्षा केन्द्र के रूप में मान्य किया है। बैंक सखी के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक श्री वीकेश अग्रवाल ने कार्यशाला में बताया कि अभी प्रदेश के सभी जिलों में कुल एक हजार 361 बैंक सखी काम कर रही हैं। बैंक सखी के रूप में काम कर रहीं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित स्वसहायता समूहों की महिलाएं सुदूर अंचलों में गांव-गांव जाकर पेंशन, मनरेगा मजदूरी और छात्रवृत्ति भुगतान कर रही हैं। दूरस्थ क्षेत्रों एवं वनांचलों में जहां बैंकों की संख्या कम है, वहां बैंक सखी के माध्यम से घर पहुंच बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। नए बैंक सखियों के प्रशिक्षण और सर्टिफिकेशन के बाद अगले एक वर्ष में तीन हजार बैंक सखी प्रदेश में बैंकिंग सेवाएं प्रदान करेंगी। इसके लिए हर पांच ग्राम पंचायतों के बीच एक बैंक सखी नियुक्त किया जाएगा।