सहकारी बैंकों को आरबीआई की निगरानी में लाने वाले अध्यादेश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सभी शहरी सहकारी बैंकों और बहु-राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक की निगरानी में लाने वाले बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दे दी है।
एक आधिकारिक बयान में शनिवार को कहा गया कि बैंकिंग नियमन कानून, 1949 में अध्यादेश के जरिये किया गया संशोधन सहकारी बैंकों पर भी लागू है।
बयान के मुताबिक, “अध्यादेश का मकसद अन्य बैंकों के संबंध में आरबीआई के पास पहले से उपलब्ध शक्तियों को सहकारी बैंकों तक बढ़ाकर उनके कामकाज और निगरानी में सुधार और श्रेष्ठ बैंकिंग नियमन लागू करके, और पेशेवर आचरण सुनिश्चित करके तथा पूंजी तक पहुंच में उन्हें सक्षम बनाकर, जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करना और सहकारी बैंकों को मजबूत बनाना है.”
इसमें कहा गया कि यह संशोधन राज्य सहकारी कानून के तहत राज्य सहकारी समिति पंजीयक की मौजूदा शक्तियों को प्रभावित नहीं करता है.
बयान में कहा गया है कि ये संशोधन प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) या सहकारी समितियों पर लागू नहीं होते हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य कृषि विकास के लिए दीर्घकालिक कर्ज देना है, और जो बैंक, बैंकर या बैंकिंग जैसे शब्दों का उपयोग नहीं करते हैं, और चेक अदा नहीं करते हैं.
बयान में यह भी कहा गया कि अध्यादेश बैंकिंग नियमन अधिनियम की धारा 45 में भी संशोधन करता है, ताकि जनता, जमाकर्ताओं और बैंकिंग प्रणाली के हितों की रक्षा के लिए किसी भी बैंकिंग कंपनी के पुनर्गठन या विलय की योजना बनाई जा सके.
भारत में 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं, जिनके पास 8.6 करोड़ जमाकर्ताओं की लगभग 4.85 लाख करोड़ रुपये की राशि जमा है.
यह निर्णय पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक सहित कुछ सहकारी बैंकों में हुए घोटालों के मद्देनजर महत्व रखता है, जिससे लाखों ग्राहक प्रभावित होते हैं.