राज्योत्सव से टूटी आस : लोक कलाकारों की स्थिति दयनीय, गुजर-बसर के लिए मजदूरी तक कर रहे
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में इस बार 1 नवंबर को स्थापना दिवस के अवसर पर किसी तरह का सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा। कोरोना के चलते इस बार 1 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर वर्चुअल तरीके से कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं होने से छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों को मायूसी और निराशा हाथ लगी है. वैसे भी कोरोना के चलते पिछले 8 महीने से इन कलाकारों की दशा और दिशा भी बिगड़ चुकी है।
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सांस्कृतिक या फिर साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन नहीं होने से छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों पर इसका असर देखने को मिला है। इनको मायूसी ही हाथ लगी है. इन कलाकारों का कहना है कि कोरोना के चलते वैसे भी पिछले 8 महीने से सरकारी या फिर निजी आयोजन नहीं हुआ है, जिसके कारण इन्हें आर्थिक समस्या से भी जूझना पड़ रहा है। सरकार के द्वारा भी छत्तीसगढ़ के इन लोक कलाकारों को कोई भी आर्थिक सहायता भी उपलब्ध नहीं कराई गई है. ऐसे में इनकी पारिवारिक स्थिति भी दयनीय होती जा रही है।
लोक कलाकारों ने बताया कि उन्हें इस बार राज्योत्सव में किसी तरह के आयोजन नहीं होने से मायूस होना पड़ा है. उनके हाथ निराशा लगी है. इसके पहले राज्योत्सव में सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन होने से छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों को थोड़ी बहुत राशि मिलती थी और इन्हें अपनी कला निखारने का मौका मंच के माध्यम से मिलता था, लेकिन इस साल कोरोना के चलते इन कलाकारों की कोई पूछ परख भी नहीं है।
छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि मंच न मिलने के कारण इन कलाकारों को मजदूरी तक करनी पड़ रही है. लोक कला से जुड़े कुछ कलाकार दूसरे जिले से आकर राजधानी में घरों में रंग रोगन और साफ सफाई का काम भी कर रहे है. उन्होंने बताया कि इसी से परिवार का गुजर-बसर चलेगा, क्योंकि पिछले 8 महीने से कोरोना के चलते आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है।