December 23, 2024

एशियन ओपन बिल स्ट्रोक : गरियाबंद के लचकेरा में प्रवासी पक्षियों का डेरा

lachkera

गरियाबंद।  छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में इस दिनों प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा हैं। ग्राम पंचायत लचकेरा में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचे हैं।  यहां के पेड़ों में पक्षियों ने अपना डेरा जमाया है।  लचकेरा इन पक्षियों की शरणस्थली के रूप में विख्यात हो चुका हैं।  गांव में प्रजनन के लिए एशियन ओपन बिल स्ट्रोक मानसून के पहले से ही यहां पहुंच चुके थे।  अब उनके अंडों से नन्हे बच्चे भी निकलना शुरू हो गया है।  वर्तमान में इस यहां लगभग इनकी संख्या हजारों में है।  बारिश के दिनों में इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि होने का अनुमान भी लगाया जा रहा है।  स्थानीय ग्रामीण इन प्रवासी पक्षियों को सारस या कोकड़ा के नाम से जानते हैं।  लेकिन इनका असली नाम एशियन ओपन बिल स्ट्रोक और वैज्ञानिक नाम एनास्टोमस ओसिटेंस है। 

बता दें पिछले कई सालों से बारिश की शुरुआत होते ही इन पक्षियों का आगमन होता है. जैसे-जैसे बारिश अधिक होती है और नदीयों में पानी का बहाव बढ़ता जाता है वैसे ही इसकी संख्या में नन्हे मेहमान के आ जाने से वृद्धि हो जाती है. लचकेरा ग्राम के पीपल, आम, बरगद, इमली के वृक्षों में इन पक्षियों का अधिकतर बसेरा होता है. ग्रामीणों ने बताया कि बारिश तेज होने और नदी नाले में पानी भरने के साथ इन पक्षियों का ग्राम लचकेरा में आना ज्यादा हो जाता है.

यह पक्षी बांग्लादेश, कंबोडिय़ा, चीन, भारत, आलोस, मलेशिया, म्यामार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैण्ड और वियतनाम में पाया जाता है. अन्य पक्षियों की तरह इस पक्षी का प्रजनन काल भी जुलाई माह में प्रारंभ होता है. प्रजनन के लिए यह पक्षी उन स्थानों की तलाश करता है. जहां पानी और पर्याप्त आहार की उपलब्धता हो. छत्तीसगढ़ में यह पक्षी प्राय: महानदी और उनकी सहायक नदियों के आसपास के गावों में डेरा जमाता है. 

गांव में इन मेहमान पक्षियों को संरक्षण मिलता है. ग्रामीण इस बात का खास ध्यान रखते हैं कि पक्षियों को कोई परेशान न करे. मेहमान पूरी आजादी से गांव और आसपास में विचरण करते है. लचकेरा ग्राम में पहुंचे प्रवासी पक्षियों को मारने पर प्रतिबंध है. ग्रामीणों ने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति इन पक्षियों को मारता है तो उस पर अर्थ दण्ड भी लगाया जाता है. साथ ही इसकी सूचना देने पर पुरस्कार भी दिया जाता है. अब तो ऐसे कृत्यों पर थाने में अपराध दर्ज करवाने का नियम बस्ती के लोगों ने बनाया है.

लचकेरा में प्रजनन के लिए पहुंचे ओपन बिल स्ट्रोक पक्षी का खास आहार मछली, घोंघा, केकड़ा और किड़े मकोड़े होते हैं. प्रवासी पक्षी इन सभी जीव जंतुओं को भोजन के रूप में लेना पंसद करते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पक्षियां खेत में जो किट होते हैं, उन्हें भी ये चुन-चुन कर खाते हैं. जिससे किसानों के खेतों में बीमारी भी कम होती है. 

error: Content is protected !!