नक्सलियों के खिलाफ बस्तर पुलिस ने जारी किया एक खास कैंपेन, स्थानीय भाषा का लिया सहारा
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग की पुलिस ने पोस्टर, लघु फिल्मों, ऑडियो क्लिप और अन्य लोकप्रिय प्रचार विधियों के माध्यम से, नक्सलियों के आदिवासी और विकास विरोधी गतिविधियों के खिलाफ एक उग्र अभियान शुरू किया है।
गोंडी, हल्बी और अन्य स्थानीय जनजातीय बोलियों में पोस्टर, बैनर के साथ-साथ ऑडियो और वीडियो क्लिप इस अभियान का मुख्य आकर्षण है। बस्तर पुलिस ने एक विज्ञप्ति में कहा कि ‘बस्तर THA MATTA’ और ‘बस्तर CHO AWAAZ’ नाम का अभियान बस्तर के लोगों की भावनाओं को प्रतिबिंबित करेगा।
बस्तर रेंज के आईजी पी सुंदरराज पट्टलिंगम का मानना है कि दुष्प्रचार युद्ध से न केवल सुरक्षा बलों को नक्सल अत्याचारों का चित्रण करने में मदद मिलेगी, बल्कि स्थानीय कैडर को यह एहसास होगा कि उनके वरिष्ठ कैडरों ने कैसे उन्हें गुमराह किया है और उनका दुरुपयोग किया है।
इन वर्षों में, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी जैसे केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की मदद से स्थानीय पुलिस बल ने सीपीआई माओवादियों के क्षेत्रों को रास्ते पर लाया है।
डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा जैसे अच्छी तरह से प्रशिक्षित और अत्यधिक प्रेरित विशेष नक्सल विरोधी कार्य बलों की प्रेरणा ने सुरक्षा बलों को बहुत आवश्यक परिचालन बढ़त दिलाई है। लोकप्रिय तीन-स्तरीय रणनीति जैसे “विश्वास, विकास और सुरक्षा” को सुरक्षा बलों द्वारा अपनाया जा रहा है।
पट्टलिंगम का कहना है कि लाल गुरिल्लाओं के खिलाफ चल रहे आक्रामक अभियानों के अलावा, नक्सलियों के वास्तविक और बदसूरत चेहरे को उजागर करने की आवश्यकता है।