November 24, 2024

इस सॉफ्टवेयर से महिलाओं की तस्वीरें हो जाती हैं बेलिबास: हाईकोर्ट ने मोदी सरकार से कहा, जल्दी कुछ कीजिए वरना

 मुंबई। बंबई हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के प्रयोग से एक ‘बॉट’ (एक प्रकार का सॉफ्टवेयर) द्वारा कथित तौर पर महिलाओं की तस्वीरों को नग्न चित्रों में बदल देने की हालिया खबरों पर वह क्या कर सकती है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने बुधवार को एक अखबार में इस प्रकार के एआई बॉट से संबंधित एक खबर का हवाला देते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएसजी) अनिल सिंह से कहा कि वह सूचना और प्रसारण मंत्रालय से इसकी जानकारी प्राप्त करें.

दरअसल, इस बारे में अमेरिका के प्रसिद्ध अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट छपी है, जिसमें कहा गया है कि सॉफ्टवेयर की मदद से एक लाख से अधिक महिलाओं की तस्वीरें न्यूड की जा चुकी हैं. इसमें 18 साल से कम उम्र की नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं.

अदालत, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के संबंध में मीडिया की खबरों को लेकर दायर की कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा दिखाई जा विषयवस्तु के नियमन के लिए कोई कानूनी प्रावधान होना चाहिए या नहीं, इस पर अदालत एएसजी की दलीलें सुन रही थी. एएसजी ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि प्रेस के स्वनियमन हो.

एएसजी सिंह ने कहा कि हालांकि यदि कोई मीडिया कंपनी किसी दिशा निर्देश का उल्लंघन करती है तो केंद्र सरकार कार्रवाई कर सकती है. यह सुनने के बाद अदालत ने अखबार में एआई बॉट से संबंधित उक्त खबर का हवाला दिया.

पीठ ने कहा, “प्रिंट मीडिया ने जो छापा है उसके बारे में आप मंत्रालय से पूछ सकते हैं… हम चाहते हैं कि आप इस खबर में दुर्भावना का पता लगायें. कृपया मंत्रालय से जानकारी प्राप्त करें.”

एएसजी ने अदालत को बताया कि उन्होंने खबर पढ़ी है और संबंधित अधिकारियों से बात की है और “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है.” सिंह ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी कानून में ऐसे प्रावधान हैं जिनके तहत एआई बॉट के मसले पर कार्रवाई की जा सकती है. इसके बाद पीठ ने कहा, “मामला बहुत गंभीर है और आपको (मंत्रालय) कदम उठाने होंगे.” एएसजी ने पीठ को आश्वासन दिया कि मंत्रालय इस विषय पर कदम उठाएगा.

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