March 18, 2025

छत्तीसगढ़ सरकार को बड़ा झटका : क्रमोन्नत वेतनमान की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज, शिक्षकों को मिली बड़ी जीत….

SC-supreem

रायपुर। छत्तीसगढ़ के शिक्षकों ने क्रमोन्नत वेतनमान की बड़ी लड़ाई जीत ली है। राज्य सरकार की एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। आज सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में इसकी सुनवाई हुई। पहली ही सुनवाई में न्यायाधीश ए.एस. ओका और न्यायाधीश एन. कोटीश्वर सिंह की खंडपीठ ने एसएलपी को खारिज कर दिया। इस केस में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रखा, जबकि शिक्षकों की तरफ से सीनियर वकील एस मुरलीधरण ने पक्ष रखा।

क्रमोन्नत वेतनमान का मुद्दा क्या है?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि क्रमोन्नत वेतनमान का मुद्दा क्या है। दरअसल, लंबे समय तक प्रमोशन न मिलने पर शिक्षकों ने 2013 में सरकार पर दबाव डाला, जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 10 साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने का ऐलान किया।लेकिन इसके बावजूद आंदोलन शांत नहीं हुआ। शिक्षकों के लगातार विरोध को देखते हुए सरकार ने एक साल बाद समतुल्य वेतनमान देने का निर्णय लिया, और इसके साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश रद्द कर दिया। इसके बाद यह मामला ठंडा पड़ गया।

शिक्षिका सोना साहू ने दायर की याचिका
हालांकि, इसी बीच शिक्षिका सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान के लिए याचिका दायर की थी, जबकि सरकार ने नए वेतनमान के तहत इसे रद्द कर दिया था। सोना साहू ने सोचा कि क्रमोन्नति वेतनमान समाप्त होने के बावजूद यदि कोर्ट में याचिका दायर की जाए तो उसे लाभ मिल सकता है, और ऐसा ही हुआ।सोना साहू के पति ने केस दायर किया और जीत भी गए। इसके बाद हाई कोर्ट में याचिकाएं लगनी शुरू हो गईं, क्योंकि इस फैसले से छत्तीसगढ़ के 50 हजार शिक्षकों को फायदा हो सकता था।

सरकार पहले ही रद्द कर चुकी थी क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश
राज्य सरकार को यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि जिला और जनपद पंचायत के अधिकारियों के कोर्ट आदेश का पालन करने से इतना बड़ा संकट उत्पन्न होगा। शिक्षकों ने सोना साहू को रोल मॉडल मानते हुए कोर्ट का रुख किया। जब कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, तो सरकार हरकत में आई।पहले ही सरकार क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश रद्द कर चुकी थी, और अब सोना साहू कोर्ट में केस जीत चुकी थीं। साथ ही, राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि 50 हजार शिक्षकों को क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ दे सके।

सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था
इस संकट से बचने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सरकार ने स्पेशल लीव पेटीशन (एसएलपी) दायर की है, जिसका मतलब है कि इस मामले की जल्दी सुनवाई की जाए। सुनवाई हुई भी, जिसके बाद अब राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। राज्य सरकार की एसएलपी को डबल बेंच ने खारिज कर दिया है।

शिक्षकों की समिति ने दिया था समर्थन
इस केस में शिक्षकों का समर्थन जुटाने में बसंत कौशिक, कौशल अवस्थी, सीडी भट्ट, रंजीत बनर्जी, सिराज बक्स, सुरजीत, अश्वनी कुर्रे, चौहान ईश्वर चन्द्राकर, तरुण वैष्णव, राजू टंडन, संतोष यादव, राजा राम पटेल, पुरुषोत्तम घाणी, शेषनाथ पांडे, उषा चन्द्राकर. संकीर्तन नंद, दिनेश नायक, राजेश मिश्रा, अशोक ध्रुव, शंकर नेताम, कोमल साहू, रवींद्र राठौर, दिनेश राठौर, सुरेन्द्र नेताम, देवेंद्र हर्मुख, उत्तम सिन्हा, संदीप पांडे, अजय गुप्ता, विश्वाश भगत, धीरेन्द्र माघी, देव नारायण गुप्ता, हेम साहू, कोमल साहू, राम लाल साहू, प्रेम नारायण शर्मा, दिनेश नायक, सुरेंद्र नेताम, रविन्द्र राठौर, दिनेश नायक, राजेश मिश्रा देव राज खूंटे संदीप पांडे रियाज अंसारी अजय गुप्ता प्रेम नारायण शर्मा डोला लाल पटेल देव नारायण गुप्ता विश्वाश भगत विजय साहू रमेश साहू दौलत ध्रुव अशोक ध्रुव अशोक नाग आशीष गुप्ता संकर नेताम धीरेन्द्र माघी बंजारे मुंगेली आदि दृढ़ता से जुटे हुए हैं।

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