CG : सावधान! ऑर्गेनिक फसलों में भी घोला जा रहा जहर, जैविक कीटनाशकों में मिले खतरनाक रासायनिक केमिकल
रायपुर। छत्तीसगढ़ में जैविक खेती के नाम पर किसानों और उपभोक्ताओं के साथ बड़ा धोखा उजागर हुआ है. कृषि विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि बाजार में उपलब्ध कई जैविक कीटनाशकों और खादों में प्रतिबंधित और खतरनाक रासायनिक केमिकल मिले हुए हैं. इन मिलावटों से न केवल फसलों को नुकसान पहुंचता है, बल्कि ये मानव जीवन के लिए भी गंभीर खतरा पैदा करते हैं. इतना ही नहीं ज़हर के ये व्यापारी आज भी धड़ल्ले से अपनी दुकानदारी चला रहे हैं। राजधानी के बांसटाल और लालपुर इलाके से प्रदेश भर में इस तरह के जैविक कीटनाशकों को खपाया जा रहा हैं।
कृषि विश्वविद्यालय की जांच में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. गजेंद्र चंद्राकर और उनकी टीम ने 10 से अधिक जैविक कीटनाशकों की जांच की गई. इन कीटनाशकों में कुछ उत्पादों में 7 तरह के रसायनों का मिश्रण पाया गया, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक खतरनाक है. इनमें “नगादा,” “चेक प्लस,” “फोर्स,” “यू चैम्प,” “सीरिन,” “प्लाज्मा,” “काल,” “एलीट,” “दबंग प्लस,” और “किट किलर” शामिल हैं. जांच में पाया गया कि इन उत्पादों में 20 प्रकार के खतरनाक रासायनिक तत्व मौजूद हैं.जैविक कीटनाशकों chlorpyriphos, oxamyl, bifenthrin पाया गया, जो मानव शरीर में नर्वस सिस्टम ब्रेकडाउन के प्रमुख कारक हैं. वहीं, paclobutrazole और cymoxanile केमिकल भी पाया गया, जो त्वचा रोग और आंखों में जलन की समस्या के लिए उत्तरदाई है. इसके अलावा, buprofezin केमिकल भी पाया गया है, जो गैस की समस्या को पैदा करता है. इतना ही नहीं जैविक कीटनाशकों में permithrin, acephate ऐसे खतरनाक केमिकल भी पाया गया है, जो कैंसर के लिए जिम्मेदार है.
जैविक की पहचान करना मुश्किल
बेमेतरा जिले के किसान कमल कुमार, लुकेश वर्मा और योगेश तिवारी ने बताया कि वे जैविक खेती में इस्तेमाल होने वाले खाद और कीटनाशकों की गुणवत्ता को लेकर असमंजस में रहते हैं. लुकेश वर्मा कहते हैं कि जैविक खाद और कीटनाशक पर भरोसा करके इस्तेमाल करते हैं, लेकिन असली-नकली की पहचान करना मुश्किल है. कमल कुमार कहते हैं कि हम घर के उपयोग के लिए जैविक खेती करते हैं, लेकिन बाजार में नकली उत्पाद मिलने की खबरों ने हमें चिंतित कर दिया है.
खतरनाक रसायनों से बढ़ रहा स्वास्थ्य संकट
IMA रायपुर के चेयरमैन डॉ. राकेश गुप्ता ने चेतावनी दी कि इन नकली जैविक उत्पादों का उपयोग कैंसर, त्वचा रोग, सांस की बीमारियां और नर्वस सिस्टम ब्रेकडाउन जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है.
कृषि विभाग की लापरवाही पर सवाल
छत्तीसगढ़ में 27 लाख पंजीकृत किसान हैं, जिनमें से एक लाख से अधिक किसान जैविक खेती कर रहे हैं. लेकिन राज्य में जैविक उत्पादों की जांच की कोई गाइडलाइन या व्यवस्था मौजूद नहीं है.वहीं, इस पूरे मामले पर छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री राम विचार नेताम का साफ़ साफ़ कहना है कि इस मामले में जल्द कार्रवाई की जाएगी.
जैविक उत्पादों की जांच के लिए ये करने की है जरूरत
जैविक खाद और कीटनाशकों की गुणवत्ता जांचने के लिए एक मानक प्रणाली तैयार करना होगा.
कृषि विभाग को सख्त दिशा-निर्देश जारी करना चाहिए.
किसानों को असली और नकली उत्पादों की पहचान के लिए जागरूक किया जाना चाहिए.
जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के बीच नकली उत्पादों का बाजार फल-फूल रहा है. किसानों और उपभोक्ताओं को सुरक्षित रखने के लिए सख्त कार्रवाई और जागरुकता अभियान चलाना बेहद जरूरी है. यदि समय रहते इन समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका असर न केवल फसलों पर, बल्कि मानव जीवन पर भी पड़ेगा.