November 21, 2024

CG : बीएड डिग्री से नौकरी पाने वाले प्राइमरी शिक्षकों के लिए जरूरी खबर, हाईकोर्ट की सरकार को सलाह

बिलासपुर। छत्‍तीसगढ़ में शिक्षकों की भर्ती मामले को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई की। दरअसल बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त नहीं करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई थी। याचिका में सुनवाई करते हुए जस्टिस एनके व्यास ने सरकार को कोई नया रास्‍ता सुझाया है। उन्‍होंने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि कुछ इस तरह से व्‍यवस्‍था की जाएगी कि प्राइमरी स्‍कूल में पढ़ाने वाले बीएड डिग्रीधारी कैंडिडेट्स की नौकरी सुरक्षित रहे।

इसके साथ ही योग्‍य डीएलएड डिग्री वाले कैंडिडेट्स (Decision on B.Ed-D.El.Ed Candidates) की नियुक्ति भी कर ली जाए। इस फैसले से अब ऐसे युवा जिन्‍होंने डीएलएड कर परीक्षा पास की थी और प्राइमरी शिक्षक बनने के योग्‍य हैं, वे सरकार के फैसले का इंतजार करने लगे हैं। वहीं बीएड डिग्रीधारी प्राइमरी शिक्षकों की भी चिंता बढ़ गई है कि उनकी नौकरी रहेगी कि जाएगी। वे भी सरकार की ओर से उनके भविष्‍य के लिए अच्‍छे निर्णय सुनने का इंतजार कर रहे हैं।

अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी : बीएस-डीएलएड नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट (Decision on B.Ed-D.El.Ed Candidates) ने कहा कि सरकार को ऐसा करना चाहिए कि बीएड डिग्री वालों को बिना नौकरी से निकाले ही डीएलएड कैंडिडेट्स को भी नियुक्ति दे दें। इस मामले में अगली सुनवाई 28 नवंबर को की जाएगी। मालूम हो कि पहले भी हाईकोर्ट ने बीएड डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति को अवैधानिक बताकर भर्ती निरस्त करने आदेश जारी किया था।

राज्‍य सरकार ने जारी नहीं किया कोई आदेश : बता दें कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से बीएड (Decision on B.Ed-D.El.Ed Candidates) डिग्रीधारी शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त किए जाने के बाद भी राज्य शासन की ओर से कोई आदेश जारी नहीं हुआ था। इसी के कारण बीएड डिग्रीधारी शिक्षक नियम विरूद्ध तरीके से एक साल से ज्यादा समय से पदस्थ हैं। हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किए जाने पर डीएलएड अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना याचिका लगाई है। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को सलाह दी है।

प्राइमरी में नहीं पढ़ा सकते बीएड डिग्रीधारी टीचर : याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसके अनुसार बीएड डिग्रीधारी शिक्षक प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए योग्‍य नहीं माने गए हैं। कोर्ट ने ये नियुक्तियां निरस्त करने के आदेश दिए थे। साथ ही डीएलएल कैंडिडेट्स को प्राइमरी स्‍कूलों में नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया था। इस पर राज्‍य शासन ने अमल नहीं किया।

वर्ग-2 में समायोजित करने का दिया सुझाव : इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस एनके व्यास ने कहा कि किसी की नौकरी छीनने से इस समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को बीएड डिग्रीधारी नवनियुक्त शिक्षकों को वर्ग-2 में शिक्षक पद पर समायोजित किए जाने का सुझाव दिया है। वहीं मिडिल स्कूल में शिक्षण की योग्यता रखते हैं और इन्हें 1 वर्ष शिक्षण का अनुभव भी प्राप्त है।

इसी के आधार पर उन्‍हें नौकरी से नहीं निकाला जाना चाहिए। इसके साथ ही जस्टिस एनके व्यास ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों को प्राइमरी योग्य नहीं माना। जबकि ये माध्यमिक स्कूल में शिक्षण के लिए ये योग्य हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि 2900 सहायक शिक्षकों के प्रति सरकार को जिम्‍मेदाराना रवैया अपनाना चाहिए। सरकार के पास अपनी शक्तियां हैं। उन शक्तियों से सरकार इन शिक्षकों की सेवा सुरक्षित रख सकती हैं।

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