CG : शहीद जवानों के नाम पर बनी सड़क महज तीन साल में हुई खराब, बारिश में चलना मुश्किल
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिझाने के नाम पर बनाई गयी सड़कें कुछ सालों में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई हैं. करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई गईं सड़कों की खस्ता हालत ने बयां कर दिया है कि इनके निर्माण में किस कदर भ्रष्टाचार हुआ है. संभाग के अन्य जिलों के साथ ही सुकमा जिले में भी साल 2020 में शहीदों के नाम पर बनी सड़क घटिया निर्माण के चलते पूरी तरह से उखड़ गई है.
50 प्रतिशत अधिक दर पर हुआ था सड़क का निर्माण
दरअसल(LWE) योजना के तहत एसओआर से 50% अधिक दर पर इस सड़क का काम किया गया था लेकिन सड़क का काम गुणवत्ता विहीन ढंग से किए जाने से पूरी 12 किलोमीटर की सड़क उखड़ने लगी है. आलम यह है कि बारिश के मौसम में सड़क पर चलना भी मुश्किल हो जाएगा. जानकारी के मुताबिक कई जवानों ने सड़क निर्माण के दौरान इसकी सुरक्षा में लगकर अपनी शहादत दी थी. इस वजह से इस सड़क का नामकरण शहीद विकास मार्ग के नाम से किया गया लेकिन अब यह सड़क अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है.
विपक्ष ने लगाया भ्रष्टाचार का आरोप
दरअसल सुकमा जिले के कोंटा ब्लॉक के पैदागुड़म से किष्टाराम तक करीब 12 किलोमीटर तक सड़क का निर्माण कार्य साल 2020 में किया गया था. 2017 से शुरू हुए सड़क निर्माण कार्य के दौरान जगह-जगह पुलिस कैंप खोले गए, सड़क सुरक्षा कार्य के लिए फोर्स तैनात की गई, इस दौरान कई जवान नक्सलियों की गोली का शिकार हुए. इसके अलावा नक्सलियों द्वारा प्लांट किए गए आईईडी की चपेट में आकर भी जवानों की शहादत हुई. इसी तरह जवानों ने अपने शहीदों की याद में पैदागुड़ेम से किस्टाराम तक सड़क का काम पूरा होने तक सड़क को सुरक्षा दी और इस सड़क को शहीद विकास मार्ग का नाम दिया गया लेकिन अब यह सड़क मात्र तीन साल के अंदर ही बदहाल हो गई है.
‘भ्रष्टाचारियों ने जवानों की शहादत के बारे में भी नहीं सोचा’
सीपीआई नेता और आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने बताया कि लोक निर्माण विभाग द्वारा हैदराबाद के एक ठेकेदार के मोहन रेड्डी को एसओआर में 50% अधिक दर पर सड़क बनाने का ठेका दिया गया, सड़क की लागत 1 करोड़ 71 लाख से बढ़कर 2 करोड़ 53 लाख हो गई, लेकिन इस सड़क में 50 लाख रुपए का भी काम नहीं किया गया है और शहीदों के नाम पर बनी सड़क भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. उन्होंने कहा कि सरकारी सिस्टम में कमीशन खोरी इस कदर हुई कि जिम्मेदारों ने जवानों की शहादत को भी नहीं सोचा और इस सड़क पर जमकर भ्रष्टाचार किया. मनीष कुंजाम ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए और घटिया सड़क निर्माण करने वाले दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
महज 3 साल में ही उखड़ गई पूरी सड़क
दरअसल सुकमा जिले के नक्सल प्रभावित इलाकों को भेदने के लिए सड़कों का जाल बिछाने की योजना बनाई गई थी, शासन- प्रशासन के जिम्मेदारों ने यह दावा किया था कि सड़कों के बन जाने से नक्सलवाद में कमी आएगी और प्रशासन की पहुंच अंतिम गांव तक आसानी से हो जाएगी, इस योजना पर काम करते हुए नक्सल गढ़ कहे जाने वाले किस्टाराम तक पक्की सड़क बनाने की कवायद जवानों की सुरक्षा में शुरू की गई थी, सड़क के बनने के 3 साल में ही 12 किमी की सड़क घटिया निर्माण के चलते जर्जर हो गयी. इस मामले में लोक निर्माण विभाग के सब इंजीनियर रेशमलाल सूर्यवंशी जो वर्तमान में एसडीओ के प्रभार में हैं, ने कहा कि सड़क की परफॉर्मेंस गारंटी अवधि समाप्त हो गई है, जल्द ही सड़क की मरम्मत शुरू की जाएगी, वहीं कोंटा विधानसभा के विधायक और प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि उक्त सड़क को जवानों की सुरक्षा में बनाया गया है, पीडब्ल्यूडी विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को बातकर सड़क को सुधारने के लिए निर्देशित किया जाएगा.