छत्तीसगढ़ को मिला बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन का सम्मान, ‘आशा चढ़ी परवान’ ने कायम की नई मिसाल
रायपुर। नया साल का पहला दिन छत्तीसगढ़ के लिए सौगात भरा दिन रहा. छत्तीसगढ़ को आज 3 श्रेणियों में राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं.छत्तीसगढ़ को बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन का सम्मान मिला है. इसके अलावा सबके लिए आवास योजना में छत्तीसगढ़ ने कीर्तिमान स्थापित किया है. इसके साथ ही राज्य में कुष्ठ रोगियो की अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना ‘आशा चढ़ी परवान’ ने देश के सामने नई मिसाल कायम की है.
पीएम मोदी की उपस्थिति में केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से छत्तीसगढ़ को 3 राष्ट्रीय अवार्ड दिए हैं. इस ऑनलाइन पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में डॉ शिव कुमार डहरिया, संयुक्त सचिव आर इक्का, सूडा के सीईओ सौमिल रंजन चौबे और उप मुख्य कार्यपालन अधिकारी शैलेन्द्र पाटले उपस्थित रहे.
मोर जमीन मोर मकान घटक के अंतर्गत हितग्राहियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने एवं योजनाओं का समावेश कर उनके सफल क्रियान्वयन के लिए बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन की श्रेणी में उत्तम प्रदर्शन करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य को पुरस्कृत किया गया है। छत्तीसगढ़ को इस श्रेणी में क्यों मिला अवॉर्ड- सबके लिए आवास योजना शहरी अन्तर्गत राज्य सरकार ने हितग्रहियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बिजली, पानी, गैस कनेक्शन, स्वास्थ्य, स्वच्छता, रोजगार सहित अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं का समावेश किया। इस समावेशित योजनाओं का ही एक उदाहरण है आशा चढ़ी परवान परियोजना।
योजना की विशेषताएं:-
1. राज्य शासन ने हितग्राहियों की सुविधाओं को प्रमुखता देते हुए आवास योजना अन्तर्गत 827 परियोजनाओं का समावेश किया, जिसका सबसे बड़ा उदाहण “आशा चढ़ी परवान” है।
2. सस्टिनेबल डेवलपमेंट गोल्स को पूरा करती परियोजना क्या है सस्टिनेबल डेवलपमेंट गोल्स- यूनाइटेड नेशन के सदस्यों ने वर्ष 2015 में इसे ग्लोबल गोल्स के तौर पर अपनाया था, जिसका उद्देश्य था दुनिया को सुरक्षित रखना एवं वर्ष 2030 तक गरीबी उन्मूलन कर सभी को सुख, शांति, समृद्धि हेतु उचित वातावरण तैयार करना।
3. हुडको अवॉर्ड से सम्मानित परियोजना। 4. लाइवलीहुड मिशन के तहत महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार के साधन उपलब्ध करा आत्मनिर्भर बनाया गया।
आशा चढ़ी परवान:- इस लाभकारी योजना का सीधा लाभ मिला कुष्ठ पीड़ितों और उनके परिवारों को, जो बीमारी की वजह से शहर से बाहर रह कर भिक्षावृत्ति कर पेट भरने को मजबूर थे।