सुशासन से संवरता छत्तीसगढ़ : राज्य में विकास की नई इबारत लिख रहे ‘विष्णु देव’, लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा…
रायपुर। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही सौम्य, सरल व्यक्तित्व के धनी विष्णु देव साय ने छत्तीसगढ़ की जनता को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दी गई गारंटी पर काम करना शुरू किया और मात्र 10 माह में ही अधिकांश गारंटियों को पूरा कर दिखाया। इतने कम समय में जनता को दी गई गारंटी को पूरा करने के लिए यह उनकी प्रशासनिक कुशलता और सफल नेतृत्व का परिचायक है। मुख्यमंत्री बनने के बाद विष्णु देव साय की सबसे बड़ी चुनौती इसी भरोसे को बहाल करने की थी। लेकिन ये अच्छी बात है कि पिछले दस महीने में साय सरकार ने जनता से किये अधिकांश वायदों को पूरा कर विश्वास को फिर से स्थापित किया है। करीब 10 महीने से लगातार छत्तीसगढ़ विकास के नए रास्ते पर चल पड़ा है। विष्णु देव साय के राज्य की बागडोर संभालते ही राज्य में फिर से विकास के लिए नया वातावरण बना है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में 10 माह की अल्पावधि में कई जन हितकारी फैसलों को समाज के हर वर्ग की तरक्की और खुशहाली अनेक कदम उठाए गए है। सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। प्रदेश में ‘आयुष्मान भारत’ प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’’ के साथ ही ‘शहीद वीरनारायण सिंह स्वास्थ्य योजना’ लागू करने का निर्णय लिया गया है। इन दोनों योजनाओं से छत्तीसगढ़ के 77 लाख 20 हजार परिवारों को 5 लाख रूपए तक निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है।
ठोस हुई शिक्षा व्यवस्था की नींव
प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की नींव को ठोस करने के लिए प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत 18 स्थानीय भाषाओं में प्राइमरी स्कूल में पढ़ाई कराने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश के 211 स्कूलों में पीएमश्री योजना आरंभ की गई है। इन स्कूलों को मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करने एवं नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने ‘छत्तीसगढ़ उच्च शिक्षा मिशन‘ का गठन किया है। कुल मिलाकर प्रदेश सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास ध्येय वाक्य को लेकर जनता की दिन-रात सेवा कर रही है।
सहज हो गए सारे कठिन काम
अब वन अधिकार पत्र धारण करने वाले हमारे जनजाति और वनवासी भाइयों के लिए सीमांकन, नामांतरण, खाता विभाजन जैसे कार्य सहज हो गये हैं। इन वन अधिकार पत्रों को डिजिटलाइज भी किया गया है। सरकार ने राज्य के तेंदूपत्ता संग्राहकों की पारिश्रमिक दर को 4000 रुपए प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 5500 रुपए कर दिया है। इस साल 13 लाख 5 हजार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 855 करोड़ 80 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। इनकी संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 1 लाख 72 हजार अधिक है।
पारंपरिक खेलों को मिला बढ़ावा
प्रदेश के पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ‘छत्तीसगढ़ क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना‘ आरंभ करने का निर्णय लिया है। रायगढ़ जिले में इंडोर स्टेडियम काम्प्लेक्स, हॉकी एस्ट्रोटर्फ मैदान एवं सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक 31 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत से बनाया जाएगा। वहीं बलौदाबाजार जिले में 14 करोड़ रुपए की लागत से इनडोर स्टेडियम कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जाएगा। जशपुर जिले के कुनकुरी में 33 करोड़ 60 लाख रुपए की लागत से आधुनिक खेल स्टेडियम का निर्माण किया जाएगा।
खिलखिला उठे अन्नदाता
किसानों को समर्थन मूल्य की 32 हजार करोड़ रुपए की राशि के साथ ही कृषक उन्नति योजना के अंतर्गत प्रदेश के 24 लाख 75 हजार किसानों को अंतर की राशि 13 हजार 320 करोड़ रुपये अंतरित किए गए। प्रदेश के अन्नदाताओं के खाते में सरकार ने धान खरीदी और बकाया बोनस मिलाकर लगभग 49 हजार करोड़ रुपए अंतरित किए। भूमिहीन किसानों को दीनदयाल उपाध्याय कृषि मजदूर कल्याण योजना के अंतर्गत 10 हजार रुपए वार्षिक सहायता राशि देने का निर्णय लिया गया। राज्य के 13 लाख किसानों के बैंक खाते में 3716 करोड़ रुपये का बकाया धान बोनस ट्रांसफर किया गया। सरकार ने अपने वायदों को पूरा करते हुए किसानों से 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से और 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से धान खरीदी की। प्रदेश में रिकॉर्ड 145 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई।
मजबूत हुईं मां-बेटियां
प्रदेश की 70 लाख माताओं-बहनों के खाते में महतारी वंदन योजना की किश्त के रूप में एक-एक हजार रुपए की राशि अंतरित की जा रही है। अब तक इस योजना की आठ किश्त जारी की जा चुकी है। इस योजना के चलते प्रदेश की माताएं-बहनें आर्थिक रूप से सक्षम व आत्मनिर्भर हुई हैं। वे इस राशि का उपयोग अपनी इच्छा अनुसार बच्चों की पढ़ाई एवं घर के बजट को व्यवस्थित करने में कर रही हैं, जिससे उन्हें आर्थिक संबल मिल रहा है। जब हम बेटियों को मजबूत करते हैं तो पूरा परिवार मजबूत होता है और मजबूत परिवार से ही मजबूत समाज और मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है। महिलाओं के आर्थिक सामाजिक सशक्तीकरण से निश्चित ही विकसित छत्तीसगढ़ की आधारशिला मजबूत हो रही है।
कुपोषण से सुपोषण की ओर
छत्तीसगढ़ में 6 साल से कम आयु के बच्चों में व्याप्त कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में व्याप्त एनीमिया एक चुनौती है जिसे जड़ से समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार सुपोषण के लिए अभियान चला रही है। इस अभियान का मुख्य उद्देष्य 06 वर्ष आयु तक के बच्चों में कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं को एनीमिया मुक्त करना है। लक्ष्य निर्धारित करते हुए हर जिले के 01 से 03 वर्ष के कुपोषित बच्चों को पौष्टिक गर्म खिचडी एवं गर्भवती, एनीमिक महिलाओं को गर्म भोजन प्रदाय किया जा रहा है। 52 हजार से अधिक आंगनबाडी केन्द्रों के माध्यम से गर्भवती महिलाओं, शिशुवती महिलाओं, 0 से 06 साल के बच्चें किशोरी बालिकाओं को स्वास्थ्य पोषण संबंधी सेवाओं का प्रदाय किया जा रहा है। सुपोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये समुदाय, परिवार एवं व्यक्यिगत स्तर से सकरात्मक व्यवहार परिवर्तन भी बहुत आवश्यक है। पोषण माह के दौरान इस वर्ष एनीमिया वृद्धि निगरानी, पूरक पोषण आहार, पोषण भी पढ़ाई भी, गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदाय हेतु तकनीक का प्रयोग और समग्र पोषण पर ध्यान केंदित किया गया। सुपोषण रथ में सुपोषण पर केंद्रित फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। सुपोषण रथ के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न जिलो में पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी ऑडियो, वीडियो संदेशों का प्रसारण किया गया।