छत्तीसगढ़ : अब दाने-दाने को मोहताज होंगे नक्सली!, CRPF के इस प्लान ने उड़ा दी माओवादियों की नींद
रायपुर। छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सलियों के खिलाफ फोर्स का अभियान जारी है. नई-नई रणनीतियों के साथ अब बल अपने ऑपरेशन को तेज कर दिए हैं. इसी के तहत अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के “कट्टर” माओवादी हिंसा प्रभावित जिलों में तीन नए अग्रिम ठिकाने खोले हैं, ताकि सुरक्षा बलों को तीव्र नक्सल विरोधी अभियान (Anti-Naxal operations) शुरू करने के लिए “रणनीतिक” केंद्र उपलब्ध कराए जा सकें.
सुकमा जिले के तुम्पलपाड़ और रायगुडेम तथा निकटवर्ती बीजापुर जिले के कोंडापल्ली में अग्रिम संचालन ठिकाने (एफओबी) बनाए गए हैं. अधिकारियों ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में इन ठिकानों को चालू कर दिया गया है.
खुफिया नक्सल ऑपरेशन
केंद्रीय बल राज्य के “कट्टर” नक्सली इलाकों में पैठ बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है, जहां वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) के खिलाफ अंतिम लड़ाई केंद्रित है. उन्होंने कहा कि एफओबी सीआरपीएफ और राज्य पुलिस इकाइयों सहित सभी सुरक्षा बलों के लिए लॉन्चिंग पैड के रूप में कार्य करते हैं, ताकि मुख्य क्षेत्रों में विशिष्ट और खुफिया-आधारित नक्सल विरोधी अभियान शुरू किए जा सकें.
रसद केंद्र पर चोट
बस्तर क्षेत्र के दो जिलों के ये तीनों गांव दशकों से माओवादियों के लिए रसद केंद्र के रूप में काम कर रहे हैं. वामपंथी उग्रवाद के विशेषज्ञों के अनुसार, कोंडापल्ली माओवादियों की “सबसे महत्वपूर्ण” पीएलजीए बटालियन नंबर 1 के लिए एक महत्वपूर्ण भर्ती केंद्र हुआ करता था.
विशेषज्ञों ने कहा कि तालपेरु नदी के तट पर स्थित यह गांव माओवादियों के लिए एक प्रशिक्षण क्षेत्र के रूप में भी काम करता था. इसी तरह, चिंतावागु नदी के तट पर स्थित तुमलपाड़ नक्सलियों के लिए एक पड़ाव क्षेत्र और गलियारे के रूप में काम करता था. तुमलपाड़ एफओबी का संचालन बल की 74वीं बटालियन द्वारा किया गया था, जबकि कोंडापल्ली बेस का निर्माण 170वीं सीआरपीएफ इकाई द्वारा किया गया है.
सीआरपीएफ की विशेष जंगल युद्ध इकाई, कमांड बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन (कोबरा) ने इन एफओबी को बनाने वाली टीमों को सक्रिय सुरक्षा प्रदान की. उन्होंने कहा कि ये एफओबी भौतिक अवरोधक के रूप में कार्य करेंगे और इन क्षेत्रों में नक्सलियों की मुक्त आवाजाही पर अंकुश लगाएंगे, जिन्हें अब तक सरकारी अधिकारियों और सुरक्षा बलों के लिए ‘नो गो’ क्षेत्र कहा जाता था.
तीन-चार वर्षों में 40 से ज्यादा एफओबी
सीआरपीएफ ने पिछले तीन-चार वर्षों में छत्तीसगढ़ में 40 से अधिक ऐसे एफओबी बनाए हैं क्योंकि सबसे कठिन नक्सल विरोधी अभियान ओडिशा और तेलंगाना की सीमा से लगे बस्तर में केंद्रित हैं. बीएसएफ और आईटीबीपी जैसे अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और राज्य पुलिस ने भी राज्य में ऐसे एफओबी बनाए हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की है कि उनकी सरकार का उद्देश्य मार्च, 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद के खतरे को समाप्त करना है क्योंकि उन्होंने सुरक्षा बलों से इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए “मजबूत और क्रूर” कार्य योजना बनाने को कहा है.