April 1, 2025

छत्तीसगढ़ : यहां पैसे नहीं, लिया जाता है श्रमदान, गायें सुनती हैं भजन, कहां है ये मंदिर?

GOUSHALA
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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में श्रीराधा माधव गौ मंदिर ने नकद दान पर रोक लगाकर एक अनूठी पहल की है. इस मंदिर में श्रद्धालु सिर्फ श्रमदान, सेवा और समय देकर पुण्य अर्जित कर सकते हैं. इस मंदिर में रायपुर के साथ-साथ विदेशों से भी श्रद्धालु सेवा देने के लिए पहुंच रहे हैं. यहां सुबह-शाम गौ आरती होती है और म्यूजिकल सिस्टम के जरिए गायों को भजन सुनाए जाते हैं. इसके अलावा पंडित मंत्रोच्चार भी गौ माताओं के बीच करते हैं. लेकिन जो चीज इस गौ मंदिर को अन्य गौशालाओं से अलग बनाती है वह यह है कि यहां नकद दान नहीं लिया जाता है.

रायपुर शहर से 16 किलोमीटर दूर गुमा बाना गांव स्थित श्रीराधा माधव गौ मंदिर है. मंदिर की देखभाल करने वाले आदेश सोनी का कहना है कि यहां केवल श्रम दान, समय दान और सेवा दान ही लिया जाता है.किसी भी व्यक्ति से नकद दान लेने की सख्त मनाही है. जो लोग गौ सेवा करना चाहते हैं, उन्हें स्वयं यहां आकर सेवा करनी होती है.

यहां लोग मंदिर में सेवा देने आते हैं. वे गायों को नहलाना, चारा बनाना, गौ स्थल की सफाई करना, बछड़ों की देखभाल करना और गोबर की सफाई जैसे कार्य करते हैं. बछड़ों को गोद में लेकर बोतल से दूध पिलाना और गौ आरती में शामिल होना भी सेवा का हिस्सा है. इस मंदिर के नियमों और सेवा भाव को देखकर लगातार लोग इससे जुड़ते जा रहे हैं.

विदेशों से भी आ रहे लोग गौ सेवा के लिए
गौ मंदिर की अनूठी कार्यप्रणाली को देखते हुए अब सिर्फ रायपुर ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों और मलेशिया, ब्रिटेन जैसे देशों से भी लोग यहां सेवा के लिए आ रहे हैं. मंदिर प्रशासन ने दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों के लिए नि:शुल्क ठहरने की भी व्यवस्था की है.

12 एकड़ में फैला गौ मंदिर, 350 से अधिक गौवंश की सेवा
यह गौ मंदिर 12 एकड़ भूमि में फैला हुआ है और इसमें 350 से अधिक गौवंश हैं. यहां सभी गायों को रेस्क्यू करके लाया गया है. इनमें 50 से अधिक दिव्यांग, 60 से ज्यादा बेड रेस्ट पर और 20 से अधिक बछड़े हैं. इसके अलावा कई गायें पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी हैं.

किसने कराया निर्माण?
इस मंदिर का निर्माण सुरेश जिंदल परिवार ने 2023 में अपने माता-पिता की याद में किया था. मंदिर का पूरा खर्चा भी सुरेश जिंदल परिवार ही उठाता है. शुरुआत में गांव के लोग ही सेवा करते थे. अब बाहर से भी लोग बड़ी संख्या में आकर गौ सेवा में अपना कीमती वक्त दे रहे हैं. गौ सेवा को लेकर इस मंदिर ने एक अलग मिसाल पेश की है. ज्यादातर देश में गौशालाएं दान पर ही चलती हैं. लेकिन यहां सेवा को ही सबसे बड़ा दान माना जाता है. यही कारण है कि यह स्थान तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है और गौ भक्त बड़ी संख्या में यहां आकर गौ सेवा का हिस्सा बन रहे हैं.

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