April 20, 2024

कोरोना मरीजों में आठ फीसदी लोग हैं खतरनाक सुपर स्प्रेडर, 60 फीसदी को बनाया अपना शिकार

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। 63 लाख से अधिक लोग इस खतरनाक वायरस से संक्रमित हो चुके हैं वहीं मौत का आंकड़ा एक लाख के पास पहुंच गया है। बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर देश के वैज्ञानिक तेजी से शोध और अध्ययन कर रहें हैं। इसी क्रम में  साइंस जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश के कोरोना मरीजों में  मात्र आठ फीसदी लोग सुपर स्प्रेडर बनकर 60 फीसदी से अधिक लोगों को संक्रमित कर दिया है।

बता दें कि सुपर स्प्रेडर का यहां मतलब है किसी भी संक्रमण को सबसे ज्यादा फैलाने वाले लोग। कोरोना वायरस के भी सुपर स्प्रेडर हैं। ये वो लोग हैं जो कई लोगों के संपर्क में आते हैं और अनजाने में कई में इन सभी लोगों में अपना वायरस फैला देते हैं।

साइंस जर्नल के अध्ययन में सुपर स्प्रेडर के बारे में बड़ा खुलासा
जर्नल के अध्ययन में आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के 5,75,071 लोगों को शामिल किया गया। इसमें 84,965 संक्रमित पाए गए हैं। अध्ययन में इन लोगों के लाखों कॉन्टैक्ट से भी संपर्क किया गया। रिसर्च में पाया गया कि देश के करीब 70 फीसदी संक्रमितों ने अपने किसी भी लोगों में वायरस नहीं फैलाया। वहीं, 8 फीसदी संक्रमित लोग कुल 60 फीसदी लोगों को कोरोना का शिकार बना दिया।

वहीं इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि जिन लोगों ने जान गंवाई उनमें से 63 फीसदी पहले से किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त थे। जबकि 36 फीसदी लोग को पहले से दो या अधिक गंभीर बीमारी थी। जान गंवाने वाले 46 फीसदी लोग डायबिटीज से ग्रसित थे। अस्पताल में जिन लोगों ने जान गंवाई वे मौत से पहले औसतन पांच दिन अस्पताल में रहे। अमेरिका में यह आंकड़ा 13 दिनों का है।

विकसित देशों से अलग है भारत का मामला
अध्ययन में शामिल रहे सेंटर फॉर डिजीज डायनामिक्स, इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी, नई दिल्ली के वैज्ञानिक रमणन लक्ष्मीनारायण के अनुसार भारत में मामले विकसित देशों के बिल्कुल अलग है। विकसित देशों में संक्रमितों और मृतकों में सबसे ज्यादा संख्या बुजुर्गों की रही है। लेकिन आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में 40 से 69 साल के लोग सबसे ज्यादा संक्रमित हुए हैं।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि एक समान उम्र के संपर्क में आने से संक्रमण का खतरा ज्यादा रहा है। शून्य से 14 वर्ष के बच्चों में यह सबसे ज्यादा देखने को मिला। इसके बाद 65 वर्ष से ऊपर के लोगों को अपने चपेट में लिया। कोरोना के कारण मौत पांच से 17 वर्ष के लोगों में 0.05 फीसदी रही। वहीं, 85 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में यह 16.6 फीसदी है।

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