टिड्डी, कोरोना, बारिश के बाद अब तना छेदक और माहू से परेशान हो रहे किसान
रायपुर। छत्तीसगढ़ के ज्यादातर जिलों में किसानों के खेतों में फसलों पर तना छेदक (स्टेम बोरर) का प्रकोप बढ़ने से किसान परेशान हो रहे हैं. इससे बचने के लिए किसान कृषि विभाग से जानकारी लेकर, अपने खेतों में दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं।
राजनांदगाव,रायपुर,बेमेतरा सहित विभिन्न जिलों में इन दिनों किसान फसल को लेकर परेशान नजर आ रहे हैं. बारिश होते ही फसलों पर तना छेदक और माहू जैसे कीड़ों का प्रकोप शुरू हो गया है. फसल बचाने के लिए किसान दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं. इधर, नए किसान दवा छिड़काव करने से पहले कृषि विभाग अधिकारी के पास सलाह लेने दफ्तर में पहुंच रहे हैं।
विभागीय अफसरों का कहना है कि फसलों पर तना छेदक हर साल अगस्त और सितंबर महीने के बीच में ही दिखाई देता है. धान की फसलों पर हमेशा इसका प्रकोप देखने को मिलता है. इसके बचाव के लिए बाजार में कई प्रकार की दवाई उपलब्ध हैं। राजनांदगाव जिला मुख्यालय से लगे बधियाटोला गांव, मुरमुंदा मेढ़ा, पिनकापार और अन्य गांव के किसानों ने बताया कि पिछले हफ्ते से फसलों पर तनाछेदक का प्रभाव देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर वे नियमित रूप से दवाइयों का छिड़काव कर रहे हैं।
फसलों को कीट प्रकोप से बचाने के लिए इन दिनों बड़ी तादात में क्षेत्र के किसान शहर स्थित कृषि सेवा केंद्र और बीज भंडार की दुकानों में पहुंच रहे हैं. दवा खरीदने के लिए इन दुकानों में किसानों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है. दुकान संचालकों ने बताया कि तना छेदक के लिए उनके पास विभिन्न कंपनी का दवाई उपलब्ध है।
कृषि विकास अधिकारी ने बताया कि तना छेदक कीट प्रकोप से फसलों को बचाने के लिए किसान गंगई, कटवा, माहू, चितरि के लिए इमामेंक्टिन बेंजोएट 1.5 और फिप्रोनील 3.5 और एस नाकआउट 200 एमएल को प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें. अगस्त और सितंबर के महीने में हर साल तना छेदक का प्रकोप फसलों में देखने को मिलता है. क्षेत्र में कृषि विस्तार अधिकारी से भी इसके लिए सलाह ली जा सकती है।