भारत में पहला मामला : मां से शिशु में वर्टिकल कोविड-19 का संचरण, इलाज के बाद बच्ची की अस्पताल से छुट्टी
पुणे। देश में मां से उसके नवजात शिशु में वर्टिकल कोरोना वायरस संक्रमण ट्रांसमिशन का पहला मामला सामने आया है। पुणे स्थिति बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल हॉस्पिटल ने मां से शिशु में कोरोना वायरस के वर्टिकल संचरण के मामले की सूचना दी है। बताया जा रहा है कि मां ने अपने आरटी-पीसीआर टेस्ट में नकारात्मक परीक्षण किया, लेकिन बच्ची के नासोफेरीन्जियल स्वाब, प्लेसेंटा और गर्भनाल ने वायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया।
डॉक्टरों के अनुसार, यह देश में अपनी तरह का पहला मामला है, इसलिए इसे विस्तार से प्रलेखित किया जाएगा और मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा। गंभीर सूजन की वजह से बच्ची को गहन देखभाल की जरूरत थी और करीब तीन हफ्ते तक बच्ची का इलाज किया गया। इलाज के बाद बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ हो गई है और उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
यह मामला प्रकाश में तब आया जब एक 22 वर्षीय गर्भवती महिला ने 27 मई को एक बच्ची को जन्म दिया। डिलीवरी के एक दिन पहले मां में बुखार और कमजोरी के लक्षण दिखाई दिए थे। इसके बाद मां का कोविड-19 परीक्षण किया गया था और एक RT-PCR टेस्ट भी किया गया, जिसमें महिला ने वायरस के लिए निगेटिव टेस्ट किया था। हालांकि जन्म के बाद बच्ची में बुखार, सुस्ती, गंभीर रक्त परीक्षण और सूजन जैसे कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देने लगे।
बीजेएमसी और एसजीएच में बाल चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. आरती किणीकर ने कहा कि बच्ची के नासोफेरीन्जियल स्वाब, प्लेसेंटा और गर्भनाल को परीक्षण के लिए लिया गया, जिसके बाद बच्ची को कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आया।
डॉ. किणीकर ने बताया कि चीन और ब्रिटेन में ऐसे मामले सामने आए हैं। हालांकि भारत में जो मामला सामने आया है उसमें मां ने वायरस के लिए नकारात्मक परीक्षण किया, लेकिन बच्चे की कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई. चार हफ्ते की अवधि के बाद जब हमने एक एंटीबॉडी टेस्ट किया तो मां में मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया के द्वारा कोविड-19 संक्रमण का सबूत मौजूद था। डॉक्टर ने कहा कि यह हमारे लिए चुनौतीपूर्ण मामला था।
बीजेएमसी और एसजीएच के डीन डॉ. मुरलीधर तांबे ने कहा कि देश से रिपोर्ट किया गया वर्टिकल ट्रांसमिशन का यह पहला मामला है और अस्पताल के विशेषज्ञ इसे पहचानने व बच्चे का सफलतापूर्वक इलाज करने में सक्षम थे।