November 14, 2024

LIVE : CG में पहले त्यौहार ‘हरेली तिहार’ की धूम, छत्तीसगढ़ी पकवान से महक रहा CM निवास…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में रविवार को हरेली त्यौहार का धूम हैं। हर बार की तरह इस बार भी मुख्यमंत्री निवास पर भी इस त्योहार का आयोजन किया जा रहा . इस त्योहार को देखते हुए सीएम आवास को परंपरागत रंगो से सजाया गया है, यहां पर सीएम विष्णु देव साय के साथ कई मंत्री भी मौजूद रहेंगे. हरेली त्योहार पर मुख्यमंत्री निवास छत्तीसगढ़ व्यंजनों से महक रहा है. आगन्तुकों के त्योहार में स्वागत के लिए खास तौर पर ठेठरी, खुरमी, पीडिया, गुलगुला भजिया, चीला जैसे पकवान बनाए गए हैं. इस त्यौहार पर यहां पर खुरपी और गेड़ी भी नजर आएगा, जानिए क्यों खास है ये त्यौहार और क्या है धार्मिक मान्यता।

हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरेली पर्व मनाया जाता है, हरेली का आशय हरियाली ही है, वर्षा ऋतु में धरती हरा चादर ओड़ लेती है. इस समय वातावरण चारों ओर हरा-भरा नजर आने लगता है, हरेली पर्व आते तक खरीफ फसल आदि की खेती-किसानी का कार्य लगभग हो जाता है, माताएं गुड़ का चीला बनाती हैं।

कृषि औजारों को धोकर, धूप-दीप से पूजा के बाद नारियल, गुड़ का चीला भोग लगाया जाता है, गांव के ठाकुर देव की पूजा की जाती है और उनको नारियल चढ़ाया जाता है. इस त्यौहार को छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार कहा जाता है।

हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है, परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते हैं.

गेड़ी बांस से बनाई जाती है, दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाई जाती है, एक और बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उन्हें दो भागों में बांटा जाता है, उसे नारियल रस्सी से बांध़कर दो पउआ बनाया जाता है। पउआ असल में पैर दान होता है जिसे लंबाई में पहले कांटे गए दो बांसों में लगाई गई कील के ऊपर बांध दिया जाता है, गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती हैं,

इस दिन गेंहू आटे को गूंथ कर गोल-गोल बनाकर अरंडी या खम्हार पेड़ के पत्ते में लपेटकर गोधन को औषधि खिलाते हैं, ताकि गोधन को विभिन्न रोगों से बचाया जा सके। हरेली त्यौहार पर गेड़ी की पूजा भी की जाती है, शाम को युवा वर्ग, बच्चे गांव के गली में नारियल फेंक और गांव के मैदान में कबड्डी सहित तरह के खेल खेलते हैं, बहु-बेटियां नए वस्त्र धारण कर सावन झूला, बिल्लस, खो-खो, फुगड़ी आदि खेल का आनंद लेती हैं.

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