November 16, 2024

विदेशी मेहमान : पाइड और मार्श हैरियर ने डाला डेरा, व्हाइट वैगटेल, रॉक थ्रश के शोर से गुलजार हुआ गिधवा

बेमेतरा/सरगुजा। छत्तीसगढ़ के कई जिलों में गुलाबी सर्दियों के शुरु होते ही विदेशी पक्षियों का आना शुरु हो जाता है। बेमेतरा और सरगुजा जिलों में हजारों किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर ये प्रवासी पक्षी कुछ दिनों के लिए बसेरा डालते हैं. इन पक्षियों को बेमेतरा के गिधवा जलाशय और सरगुजा का मौसम काफी सूट करता है. इस वजह से हर साल तरह तरह के प्रवासी पक्षी नवंबर के महीने में यहां पहुंच जाते हैं. खलिहान में इस वक्त धान की मिसाई होती है. अनाज भरपूर मात्रा में खेतों और खलिहानों में होता है. प्रवासी पक्षी दाने की तलाश में झुंड के झुंड उड़ान भरते नजर आते हैं. प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग भी पहुंचते हैं।

प्रवासी पक्षी आबादी से दूर अपना डेरा डालते हैं. अम्बिकापुर के वाइल्डलाइफ प्रेमी ने इन पक्षियों को खोजा है और उसकी खूबसूरत तस्वीरें भी उतारी है. वाइल्डलाइफ प्रेमी बताते हैं कि सर्दियों के शुरू होते ही प्रवासी पक्षी साउथ की ओर प्रस्थान करने लगते हैं. यहां का मौसम इस वक्त इनके लिए सबसे बेहतर होता है लिहाजा ये यहां के जंगलों में आकर डेरा डाल देते हैं. व्हाइट वैगटेल, रॉक थ्रश, ब्लू रॉक थ्रश, साइबेरियन स्टोन चैट जैसे पक्षी साइबेरिया से माइग्रेट होकर यहां हर साल आते हैं।

बिलासपुर के वाइल्डलाइफ प्रेमी लक्ष्मी जायसवाल कहते हैं कि बेमेतरा और मुंगेली-बिलासपुर के सीमा पर स्थित गिधवा परसदा जलाशय में कई तरह के प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया हैं। ओस बार रैप्टर्स पक्षी भी पहुंचे हैं जो साइज में काफी बड़े होते हैं. ये पक्षी हवा में ही छोटे पक्षीयों का शिकार कर लेते हैं. जलाशय के आसपास दलदली जमीन और घने ऊँचे पुराने वृक्षों में इस बार पाइड हैरियर, मार्श हैरियर नाम के पक्षियों ने भी डेरा डाल रखा है. जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी इन प्रवासी पक्षियों की संख्या भी बढ़ती जाएगी. कई पक्षी प्रेमियों ने अबतक सैकड़ों बर्ड्स की तस्वीरें अपने कैमरे में उतारी है. लोग क्षेत्र में पक्षियों के दीदार के लिए पहुंचने लगे हैं।

बेमेतरा जिले के गिधवा-परसदा स्थित दो बड़े जलाशयों में पिछले 25 साल से विदेशी पक्षी आ रहे हैं। यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप से भी हजारो मील की दूरी तय कर पक्षी आते हैं। यहां देशी एवं विदेशी 150 प्रजाति के पक्षियों का प्रवास होता है। सामान्य रूप से अक्टूबर से फरवरी तक उनका इस जलाशय के पास निवास रहता है।

गिधवा नांदघाट से महज 8 किलोमीटर दूर पथरिया रोड पर 52 एकड़ में फैले जलाशय और 2 बड़े पुराने तालाब है. जो क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का अघोषित अभयारण्य माना जाता है. जानकारों की माने तो सर्दियों की दस्तक के साथ अक्टूबर से मार्च के बीच यहां विदेशी मेहमान साइबेरिया, बर्मा और बांग्लादेश से पहुंचते हैं. जलाशय की मछलियां, गांव की नम भूमि और जैव विविधता इन्हें अपनी ओर आकर्षित करती है. गिधवा की दोनों वॉटर बॉडी में गैडवाल, मार्श, सेंड पाइपर, काॅमन सेंड पाइपर, कॉमन ग्रीन शेक, काॅमन रेड शेक आदि प्रकार के पक्षी जल विहार करते हैं. इनके अलावा यहां स्थानीय पक्षियों की दर्जनों प्रजातियां पाई जाती हैं.

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