छत्तीसगढ़ में यहाँ डेढ़ सौ से ज्यादा हाथियों का जमावड़ा, पिकनिक या शोक, जानकार कह रहे शोध का विषय
रायगढ़। छत्तीसगढ़ में ऐसा पहली बार हुआ है कि अलग-अलग रेंज के डेढ़ सौ से अधिक हाथी एक ही जगह पर एकत्रित हो रहे हों। ऐसा ही एक वीडियो जिले से वायरल हुआ है। वीडियो में देखा जा रहा है कि 50 हाथियों का दल मेन सिथरा मेन रोड को पार कर रेल लाइन की तरफ जा रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद वन विभाग ने क्षेत्र के गांव के ग्रामीणों को सावधानी बरतने की अपील की गई है।
जानकारी के अनुसार, जिले में 151 हाथी अलग-अलग रेंज के अलग-अलग बीट में विचरण कर रहे हैं। जिले में हाथियों की बड़ी संख्या होने की वजह से वन विभाग, हाथी मित्र दल के अलावा हाथी टैकरों की टीम ड्रोन कैमरे के अलावा अन्य तरीके से हाथियों की हर मूवमेंट पर नजर बनाए हुए हैं। शुक्रवार की दोपहर छाल रेंज के हाटी बीट में विचरण कर रहे 50 हाथियों के दल का एक वीडियो सामने आया। हाथियों का यह दल सिथरा मेन रोड को क्रॉस कर रेल लाइन के करीब पहुंचा गया, जिसके बाद से उस क्षेत्र के गांव के ग्रामीणों को सावधानी बरतने की अपील की गई है।
आपको बता दें कि, छाल रेंज के हाटी बीट में विचरण कर रहे 50 हाथियों के दल में से ही एक हाथी का बच्चा शनिवार सुबह वन विभाग के तालाब में नहाते समय पानी में डूबकर मर चुका है। इस घटना के बाद वन विभाग लगातार इस दल पर नजर बनाये हुए है। अकेले छाल रेंज की बात करें तो यहां कुल 58 हाथी अलग-अलग बीट में विचरण कर रहे हैं। जिसमें सर्वाधिक हाथी हाटी बीट में है। जहां कुल 50 हाथी हैं। इसी तरह बेहरामार में दो, छाल में एक, कुडुकेकेला में एक, बनहर में एक, लोटान में एक, औरानारा में एक, बोजिया बीट में एक हाथी विचरण कर रहा है। 58 हाथियों के इस दल में नर हाथी की संख्या 14, मादा हाथी 29 के अलावा 15 बच्चे शामिल हैं।
धरमजयगढ़ वन मंडल में एक साथ डेढ़ सौ के करीब हाथियों का झुंड एकत्रित होने की बात को लेकर उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन से कारण जानने की कोशिश की गई। अफसर का कहना है कि अलग-अलग समूह के हाथियों का झुंड एकत्रित हुआ होगा। अफसर के अनुसार राज्य में इस तरह चार-पांच दल का एक साथ आना शोध का विषय है। अफसर के अनुसार राज्य में विचरण कर रहे हाथियों का परिवार छोटा है। इसीलिए अधिकतम 40 से 50 हाथी एक साथ एकत्रित हो सकते हैं।
हाथियों का दल अलग अलग दिशाओं से एक जगह एकत्रित हो रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो हाथी अपनी बुद्धिमत्ता, घनिष्ठ पारिवारिक संबंधों और सामाजिक जटिलता के लिए जाने जाते हैं, और वे वर्षों तक अन्य व्यक्तियों और स्थानों को याद रखते हैं। वे एक तरल विखंडन-संलयन समाज में रहते हैं, जिसमें माता-संतान के बंधन से लेकर परिवारों, बंधन समूहों, कुलों, स्वतंत्र नरों और अजनबियों तक के रिश्ते फैले हुए हैं। अलग-अलग हाथियों के बीच विशेष संबंध जीवन भर बने रह सकते हैं। हाथी हाथी अपना साथी चुनने और संसर्ग के लिए भी एक जगह पर एकत्रित होते हैं।
जब झुंड में किसी की मौत हो जाती है तो हाथी भावनात्मक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। एक हाथी की मृत्यु पर, अन्य हाथी शोक मनाते हैं। शोक कई दिनों या हफ्तों तक चल सकता है, जिसमें हाथी मृत हाथी के शरीर पर अपनी सूंड और पैर रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह कृत्य मृत हाथी के प्रति सांत्वना और सहानुभूति का प्रतीक है, जैसे कि किसी प्रियजन के खोने पर अपना दुख व्यक्त करता हो। शोक मनाने के अलावा, हाथियों का झुंड में परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच मजबूत बंधन प्रदर्शित करने के लिए एकजुट होते हैं। तनाव और संकट के समय में, हाथी एक-दूसरे का समर्थन करने और सांत्वना देने के लिए एक साथ आते हैं। हाथी मामलों के जानकार संदीप पुराणिक के मुताबिक इस तरह हाथियों का झुंड दक्षिण के राज्यों में कई बार देखा गया है। राज्य के वनों में अब तक अधिकतम 40 से 50 हाथियों का समूह एक साथ देखा गया है। डेढ़ सौ के पार हाथियों के एक साथ या आसपास देखे जाने पर जानकार राज्य में रहने वाले हाथियों के व्यवहार में बदलाव होने की भी बात कह रहे हैं। हाथियों के व्यवहार में किस तरह के बदलाव हुए हैं, इसे लेकर जानकार समझने की बात कह रहे हैं। हाथियों का जो झुंड देखा गया है उसमें शावक से लेकर सभी तरह के हाथी नजर आ रहे हैं।
हाथी मामलों के जानकार संदीप पुराणिक के मुताबिक, सामाजिक संपर्क बढ़ाने मादा हाथी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ एक साथ मिलते हैं और एक दूसरे के साथ खुशियों का इजहार करने चिंघाड़ने के साथ एक दूसरे को सूंड से छूते हैं। श्री पुराणिक के मुताबिक ज्यादा स्ट्रेस में होने पर भी हाथी तनाव दूर करने परिवार से जुड़े हाथियों के साथ मिलते हैं।