अन्नदाता से रूठे भगवान : फसलों पर प्रकृति की मार; खेतों में बिछ गई गेहूं की फसल, चना सरसों को भी नुकसान
रायपुर/धमतरी/दुर्ग/बेमेतरा। छत्तीसगढ़ में आमतौर पर किसान द्वारा तैयार गेहूं,चना व सरसों की फसल की अप्रैल माह में कटाई शुरू हो जाती है. फिलहाल किसान की यह मुख्य फसल पूरी तरह से तैयार है. लेकिन बेमौसम बरसात के कारण इन फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ता है. क्योंकि इन दिनों होने वाली बरसात के कारण जहां फसलें गिर जाती है, वहीं ओलावृष्टि के कारण भी फसलों को काफी हानि पहुंचती है।
पिछले 2 दिनों से प्रदेश खराब मौसम के कारण हुई बरसात से किसानों के गेहूं,चना की फसल व सरसों में काफी नुकसान हुआ है. बेमौसम बरसात के कारण गेहूं व सरसों की फसल का उत्पादन घट जाता है. जिससे किसानो के चेहरे मायूस देखे जा सकते हैं. क्योंकि गेहूं,चना व सरसों किसान की मुख्य फसल है और यह उसके पूरे परिवार के लिए पूरे साल गुजर बसर के लिए होती है।
सूबे के कांकेर जिले के किसान कृष्णकुमार ने अपने छोटे से खेत में गेहूं की फसल बोई थी. उसने मजदूरी करके और कुछ बाजार से उधार लेकर अपने खेत में गेहूं की फसल तैयार की थी. लेकिन बेमौसम हुई बरसात व आंधी के कारण कृष्णकुमार की फसल को पूरी तरह से नष्ट हो गयी. भारी आवाज व नम आंखों से किसान ने बताया कि मैंने अपने खेत में मेहनत- मजदूरी करके इस फसल को तैयार किया था तथा मुझे उम्मीद थी कि इस बार मुझे गेहूं की फसल से अच्छी आमदनी हो जाएगी. लेकिन प्रकृति की मार ने मेरी फसल को तो बर्बाद कर ही दिया, साथ ही मेरे सपनों पर भी पानी फेर दिया. भावुक हुए किसान ने कहा कि यदि अब मुझे खेत में लगी लागत भी मिलने की उम्मीद नहीं है. उन्होंने प्रशासन से फसल में हुए नुकसान का मुआवजा दिए जाने की अपील की है।
बेमेतरा जिले के किसान अरुण पटेल ने बताया कि बेमौसम हुई इस बरसात में आंधी के कारण किसान की 80% गेहूं की फसल पूरी तरह से जमीन पर बिछ चुकी है। चना और सरसों को भी खासा नुक्सान पहुंचा हैं। उन्होंने बताया कि इस आपदा के बाद गेहूं की फसल का उत्पादन भी बहुत कम हो जाएगा किसान ने बताया कि जिले में इस बार गेहूं,चना की फसल की बंपर पैदावार की संभावना जताई जा रही थी. लेकिन इस खराब मौसम के कारण हुई हानि से जहां गेहूं,चना व सरसों की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा वही निश्चित रूप से पैदावार भी कम हो जाएगी।
दुर्ग जिले के कृषक प्रवीण देवांगन ने बताया कि बारिश में हवा के कारण फसल गिर जाने से किसान की आमदनी अब घटकर 40 प्रतिशत रह जाएगी. उन्होंने आंकड़े बताते हुए कहा कि गिरी हुई गेहूं की फसल की कटाई पर अब मजदूरी बढ़ जाएगी. दूसरा खेत में फसल की पैदावार कम हो जाएगी और तीसरी बात फसल की गुणवत्ता खराब होने से गेहूं और चना का उचित मूल्य बाजार में किसानों को नहीं मिल पाएगा. उन्होंने बताया कि इस तरह से किसान की फसल पर अब 40 प्रतिशत तक खर्च बढ़ गया है. यह सीधा- सीधा किसान के पेट पर प्राकृतिक लात लगी है. इस नुकसान की भरपाई करना किसान के लिए असंभव है।