कांगेर वैली नेशनल पार्क यूनेस्को की अस्थाई सूची में शामिल, होली पर छत्तीसगढ़ को मिली खुशियां

बस्तर। प्राकृतिक सुंदरता, हरी भरी वादियां, खूबसूरत झरने, नदी और गुफाओं से लैस कांगेर वैली की पहचान ग्लोबल हो चुकी है. कांगेर वेल्ली नेशनल पार्क को यूनेस्को ने अपनी सूची में बेस्ट पर्यटन स्थल के लिए अस्थाई तौर पर शामिल किया है. यूनेस्को की सूची पर शामिल होने से बस्तर पर्यटन के क्षेत्र में एक कदम और आगे बढ़ जाएगा. इससे पहले कांगेर वैली के सरहदी इलाके में मौजूद धूड़मारास गांव को विश्व पर्यटन संगठन ने 60 देशों में चुना था.
कब हुई थी कांगेर नेशनल वैली की शुरुआत?: कांगेर वैली नेशनल पार्क के डीएफओ चूड़ामणि सिंह ने इस अवसर पर खुशी जताई. उन्होंने कहा कि कांगेर नेशनल वैली की स्थापना साल 1982 में हुई. यह करीब 200 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह पूरे तौर पर प्राकर्तिक सौंदर्य और जैव विविधता से भरपूर है. इस पार्क में कई गुफाएं, जलप्रपात और वन्य प्राणी हैं. कांगेर वैली का वातारण यहां रहवास करने वाले जीव जंतुओं के लिए काफी लाभदायी है.
यूनेस्को की पर्यटन सूची में शामिल करने के लिए 2-3 वर्ष पूर्व ही प्रकिया शुरू की गई थी. पत्राचार के जरिये विभिन्न प्रयास किए गए. यह छत्तीसगढ़ राज्य के पहले नेशनल पार्क के रूप में शामिल हुआ है. यूनेस्को की सूची में शामिल होने से बस्तर पर्यटन हब में रूप में विकसित होगा. पर्यटकों को बस्तर अपनी ओर आकर्षित करेगा. टूरिस्टों की संख्या में वृद्धि होगी. इससे टूरिस्ट कांगेर वैली की अनूठी संरचना को करीब से देखेंगे.- चूड़ामणि सिंह, डीएफओ, कांगेर वैली, बस्तर
सीएम साय ने जताई खुशी: छत्तीसगढ़ और बस्तर को मिली इस कामयाबी से हर कोई खुश है. सीएम विष्णुदेव साय ने खुशी जताई है और प्रदेश वासियों को इसके लिए बधाई दी है. कांगेर वैली नेशनल पार्क में ही छत्तीसगढ़ की राज्य पक्षी पहाड़ी मैना पाई जाती है. दूर दूर से लोग इस पहाड़ी पक्षी की तस्वीरें लेने के लिए आते हैं. यहां आने पर लोगों को खूबसूरती के साथ साथ सुकून का अहसास होता है.