December 24, 2024

Karwa Chauth 2023 : दिख गया करवा चौथ का चांद, पूरा हुआ सुहागिनों का महापर्व…

karwa chauth

रायपुर/नईदिल्ली। छत्तीसगढ़ सहित देश भर में आज करवा चौथ का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया. राजधानी दिल्ली सहित सभी राज्यों में महिलाओं को करवा चौथ का चांद दिख गया है. महिलाओं ने चांद को अर्घ्य देकर पूजा की और इसके बाद पति की पूजा की. फिर सभी व्रती महिलाओं के पतियों ने उन्हें पानी और मिठाई खिलाकर व्रत पूरा किया. करवा चौथ पर सबसे पहले सभी महिलाओं ने पंचांग के मुताबिक शाम को 05:36 बजे से लेकर 06:54 बजे तक के शुभ मुहूर्त में पूजा की. इसके बाद अपनी घर की छत पर काफी इंतजार के बाद चांद दिखा. चांद निकलते ही सभी महिलाओं ने करवा चौथ के चांद की पूजा की.

बता दें कि सभी महिलाओं ने चंद्रोदय के समय एक लोटे में साफ जल भरा और उसमें दूध, अक्षत् और सफेद फूल मिलाया. फिर चंद्रमा को मन में ध्यान करके अर्घ्य देने के साथ मंत्र “गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥” मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य दिया. फिर चंद्र देव को प्रणाम करके अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की प्रार्थना की.

करवा चौथ के मौके पर सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा का खास महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ पूजा के दौरान माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. लेकिन बिना चंद्रमा के दर्शन और जल अर्पित किए बिना यह व्रत पूर्ण नहीं होता है. इसके चलते करवा चौथ के दिन चांद का खास महत्व होता है.

दुल्हन की तरह सजीं महिलाएं
करवा चौथ व्रत में चांद को लेकर व्रती महिलाएं बेसब्री से इंतजार करती हैं. हालांकि अभी कृष्ण पक्ष चल रहा है तो ऐसे में चांद देर से निकला. इस व्रत में श्रृंगार का खास महत्व होता है. इसलिए सभी व्रती महिलाओं ने दुल्हन की तरह अपना श्रृंगार किया और लाल जोड़ा या साड़ी पहने दिखाई दी. दरअसल, हिन्दू धर्म में लाल रंग को सुहाग का प्रतीक माना जाता है. करवा चौथ व्रत में शादीशुदा महिलाओं ने भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की और रात को चंद्रदर्शन और उन्हें अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोला. इसके बाद अपने बड़े-बुजुर्गों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया.

सभी महिलाओं ने पूजा के समय सुनी ये कथा
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी. एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा. रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा. इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है. चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी.

साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ. साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी. घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है. अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो. साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो. ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं.

साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया. इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए. गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया.

साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ. उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया. उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया. इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया. उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया.

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