April 25, 2024

शादीशुदा निकला NRI पति : शहीद भाई की अंतिम इच्छा पूरी करने वाली बहन के साथ धोखा

राजनांदगांव।  छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में डोंगरगांव के जंगलपुर में हुई शहीद जवान की बहन की शादी ने खूब चर्चा बटोरी थी. शहीद पूर्णानंद साहू की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए बहन ने बैलगाड़ी में अपनी बारात बुलाई. लड़का एनआरआई और बैलगाड़ी से बारात लेकर ओनिशा साहू से शादी करने पहुंचा था. शादी के कुछ दिन बाद ही ओनिशा के सामने एनआरआई दूल्हे शैलेंद्र साहू की सच्चाई सामने आ गई. शादी की खबर फैलते ही दूल्हे की पोल खुल गई. घरवालों को पता चला कि लड़का पहले से ही तीन शादियां कर चुका है. अपने साथ हुए धोखे की शिकायत करने जब ओनिशा अपने पूरे परिवार के साथ थाने पहुंची, तो वहां भी रिपोर्ट लिखवाने के लिए उसे घंटों इंतजार करना पड़ा. 

9 दिसंबर को जंगलपुर के रहने वाले शहीद पूर्णानंद साहू की बहन ओनिशा साहू की शादी डोंगरगांव ब्लॉक के ग्राम अर्जुनी के रहने वाले NRI शैलेंद्र साहू के साथ पूरे धूमधाम से हुई थी. यह शादी चर्चा का विषय तब बनी, जब NRI दूल्हा अपनी दुल्हन के घर पुराने रीति-रिवाज के अनुसार बैलगाड़ी से बारात लेकर पहुंचा. अंचल सहित देशभर में इस शादी को लेकर चर्चा होती रही. मीडिया में भी यह खबर दिनभर छाई रही. जनरपट  ने भी इस खबर को प्रमुखता के साथ दिखाया था. जैसे-जैसे खबर लोगों तक पहुंची, वैसे ही दूल्हे की पोल खुलने लगी और पता चला कि दूल्हा पहले भी तीन शादियां कर चुका है. यह बात जब ओनिशा के परिजनों को पता चली, तो सब हैरान रह गए. एक पल में शहीद परिवार के घर की खुशियां मातम में बदल गई. पूरे परिवार पर दूल्हे का ये सच बिजली बनकर गिर पड़ा. जवान बेटी की शादी करने के बाद 2 दिन में ही पता चला कि दूल्हा पहले से शादीशुदा है, तो परिजन इस धोखाधड़ी की शिकायत डोंगरगांव थाने में करने पहुंचे.

एक तो पति से मिला धोखा, ऊपर से पुलिस की अकर्मण्यता ने दुल्हन का दुख और बढ़ा दिया. धोखाधड़ी की शिकार हुई शहीद की बहन को अब नाकारा सिस्टम से भी जूझना पड़ा. शहीद का पूरा परिवार शिकायत लेकर थाने में गुहार लगाने पहुंचा, लेकिन किसी ने भी उनकी शिकायत दर्ज नहीं की. परिजनों ने एसपी और कलेक्टर तक की मदद ली, लेकिन इसके बाद भी देर रात तकरीबन 1 बजे तक मामले में FIR दर्ज नहीं हो पाई थी.


शहीद के परिजनों ने बताया कि डोंगरगांव थाने में जब वे रिपोर्ट लिखवाने पहुंचे, तो थानेदार केपी मरकाम वहां मौजूद नहीं थे. काफी कोशिश करने के बाद भी उनका कोई पता नहीं चला. इस बीच परिजनों ने कलेक्टर से चर्चा की तो उन्होंने एसपी को इस बात को गंभीरता से लेने को कहा. बावजूद इसके डोंगरगांव थाने के स्टाफ ने शहीद के परिजन की कोई मदद नहीं की. शिकायत लेकर परिजन तकरीबन 3 घंटे तक थाने में ही बैठे रहे. परिवार पुलिस के रवैये से काफी आहत दिखा.
 

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