December 23, 2024

तीजा मनाने अपने मायके पहुंची माता कौशल्या : लेने के लिए अयोध्या गए थे छत्तीसगढ़ के दो कलाकार, पंडवानी गायिका के घर रुकी हुई हैं माता….

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे चंदखुरी में इस बार पारपंरिक त्यौहार ‘तीज’ बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. कौशल्या धाम में पहली बार माता कौशल्या तीजा मानने अपने मायके आई हैं. लोक कलाकारों द्वारा बकायदा एक एक रस्म निभाई जा रही है. माता कौशल्या को मायके लेने उनके ससुराल गए, वहां की मिट्टी लाकर माता रानी की मूर्ति बनाई गई उसकी स्थापना की गई. इसके बाद रोजाना उनकी पूजा अर्चना कर भजन कीर्तन किया जा रहा है.

आयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट दशरथ के घर यानी माता कौशल्या के ससुराल लेने छत्तीसगढ़ से दो कलाकार डॉ. पुरोषत्तम चंद्राकर, नरेंद्र यादव बकायदा आयोध्या पहुंचे. जहां उनकी मुलाकात आयोध्या के पुजारी भगवान दास से हुई. उन्होंने पूरी रूपरेखा बताई. पुजारी को जब पता चला कि भगवान राम के ननिहाल से मेहमान आये हैं तो खूब स्वागत सत्कार किया गया. वहां की मिट्टी को छत्तीसगढ़ के मूर्तिकार पीलू राम साहू ने माता कौशल्या का रूप दिया और मूर्ति स्थापना की गई.

वेदमती पंडवानी गायिका प्रभा यादव के घर माता कौशल्या की मूर्ति स्थापित की गई है. जहां उनकी पूजा अर्चना की जा रही है. प्रभा बताती हैं कि चंदखुरी में माता कौशल्या की बड़ी महिमा है. यहां के रहवासी हर सुख दुख में उन्हें पूजने आए हैं. उनके मायके आने से यहां के लोग बड़े उत्साहित हैं.

माता कौशल्या को छत्तीसगढ़ी साड़ी और गहने पहनाकर तैयार किया गया है. मूर्ति में माता भगवान राम को गोद में ली हुई हैं. उन्हें विशेष भोग में ठेठरी खुर्मी चढ़ाया जाता है. शनिवार को माता रानी के साथ पोरा की रस्म भी निभाई गई. जिसमें बच्चों ने पोला, जाता, खेला. रविवार को करु भात खाया जायेगा, सोमवार को तीज की पूजा की जाएगी. मंगलवार को माता रानी को साड़ी कपड़ा, देकर उन्हें बासी खिलाकर उनकी विदाई की जाएगी.

लोक कलाकार राकेश तिवारी बताते हैं कि माता कौशल्या को उनके ससुराल से मायके लाकर तीज मनाने की जो परंपरा है वह कपालिक पंडवानी पर आधारित है. यानी कि इसकी रूपरेखा हमने स्वयं तैयार की है. जब माता कौशल्या का यह मायका है तो क्यों ना उन्हें हर साल यहां लाकर तीज मनाया जाए. यह छत्तीसगढ़ की परंपरा को संजोने का छोटा सा प्रयास है. पंडवानी दो प्रकार के होते हैं कापालिक और वेदमती. वेदमती पंडवानी सच्ची घटना पर आधारित होता है, कपालिक पंडवानी पर हम कल्पना भी कर सकते हैं.

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