मुन्ना भाई MBBS: न डिग्री न डिप्लोमा- खोल लिया 4 बेड का नर्सिंग होम, डॉक्टर बन कर रहा था मरीजों का इलाज
बलरामपुर। न डिग्री न डिप्लोमा और बन गया डाक्टर, इतना ही नहीं दवा दुकान और साथ में 4 बेड का नर्सिंग होम भी…. जी हाँ यह सच है, कोई मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म की स्टोरी नहीं । सूबे के वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत ग्राम बरतीकला में 12वीं पास एक युवक ने बकायदा मेडिकल स्टोर खोलकर उसने चार बेड का क्लीनिक संचालन भी शुरू कर दिया था। इसका खुलासा तब हुआ जब वाड्रफनगर एसडीएम विशाल महाराणा के नेतृत्व में स्वास्थ्य और राजस्व विभाग की टीम दवा दुकान पहुंची। पूछताछ में संचालक निहार मलिक द्वारा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया जा सका। दवा दुकान के पीछे एसडीएम के साथ कर्मचारी पहुंचे तो पता चला कि यहां चार बेड का एक नर्सिंग होम भी संचालित किया जा रहा है। उस दौरान बुखार से पीड़ित एक महिला का उपचार भी वहां किया जा रहा था।
प्रदेश में लागू नर्सिंग होम एक्ट के सफल संचालन और तय मानकों के अनुरूप सुविधाएं उपलब्ध कराने की मंशा से इन दिनों बलरामपुर जिले में जांच अभियान चलाया जा रहा है। वाड्रफनगर विकासखंड में बिना डिग्री और डिप्लोमा के मेडिकल स्टोर तथा क्लीनिक संचालन की सामने आ रही शिकायतों के मद्देनजर एसडीएम विशाल महाराणा, नायब तहसीलदार विनीत सिंह और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को साथ लेकर ग्राम बरतीकला स्थित दीप मेडिकल स्टोर पहुंचे थे। इस दवा दुकान के संचालन को लेकर लगातार शिकायत सामने आ रही थी। वहां जो कुछ अफसरों ने देखा उनके होश उड़ गए।
दरअसल जब टीम के सदस्य वहां पहुंचे तो संचालक निहार मलिक मिला। दवा दुकान संचालन को लेकर दस्तावेज प्रस्तुत करने आदेशित करने पर संचालक हड़बड़ा गया। उसके पास किसी भी फार्मासिस्ट का लाइसेंस नहीं था। दस्तावेज के नाम पर खुद का 12वीं पास प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जिसमें गलत तरीके से डॉक्टर भी लिखा हुआ था। मेडिकल स्टोर के पीछे एक-दो लोगों की आवाजाही होता देख टीम के सदस्य जब वहां पहुंचे तो नजारा देखकर अवाक रह गए। एक कमरे में चार बेड लगा हुआ था। दवाइयां रखी हुई थी। एक महिला को भर्ती किया गया था।
पूछताछ करने पर पता चला कि महिला को बुखार है। उसे टाइफाइड से पीड़ित बता कर निहार मलिक द्वारा उपचार किया जा रहा था। क्लीनिक में कई ऐसी दवाइयां रखी गई थी जिसका सामान्य तौर पर विशेषज्ञ चिकित्सक भी उपयोग करने से बचते हैं। हाई एंटीबायोटिक सहित अन्य साइड इफेक्ट वाली दवाइयों का उपयोग कर उपचार करने की जानकारी सामने आई। इसके बाद अफसरों का सब माजरा समझ में आ गया।
जांच उपरांत मेडिकल स्टोर और क्लीनिक संचालन नियम विरुद्ध तरीके से पाए जाने के कारण उसे सील कर दिया गया है। दवा दुकान संचालित करने वाले निहार मलिक को मौका दिया गया है कि उनके पास और कोई भी दस्तावेज हो तो उसे प्रस्तुत किया जाए। एसडीएम विशाल महाराणा ने बताया कि मामले में कार्रवाई से पहले सक्षम अधिकारियों और विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी राय ली जा रही है। कुल मिलाकर देखा जाए तो प्रथम दृष्टया यह झोला छाप डाक्टर का मामला लगता हैं।