November 16, 2024

पीटीआई को प्रसार भारती की चेतावनी, चिदंबरम ने जावड़ेकर से हस्तक्षेप की मांग की

नई दिल्ली।  प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक बार फिर कठघरे में है।  कांग्रेस ने प्रसार भारती को लेकर सवाल खड़े किए हैं. वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘वास्तविकता यह है कि सरकार के आधिकारिक प्रसारक, डीडी और आकाशवाणी प्रसार भारती के माध्यम से नियंत्रित हैं. इनके पास स्वतंत्रता और विश्वसनीयता भी कम है.’ 


चिदंबरम ने केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को टैग करते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि प्रसार भारती द्वारा पीटीआई को भेजा गया अपना पत्र तत्काल वापस लेना चाहिए. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में सवाल किया कि क्या प्रसार भारती द्वारा 27 जून को लिखा गया पत्र पीटीआई को अप्रत्यक्ष धमकी है ?

बकौल चिदंबरम, ‘प्रसार भारती को यह तय करने का अधिकार किसने दिया कि कोई भी समाचार राष्ट्रीय हित में है या नहीं?प्रसार भारती के पत्र को लेकर केरल की तिरुवनंतपुरम संसदीय सीट से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा कि प्रसार भारती ने पीटीआई को सदस्यता रद्द करने की धमकी दी है.

थरूर ने पीटीआई में प्रकाशित उस खबर का भी हवाला दिया जिसमें चीनी राजदूत का साक्षात्कार प्रकाशित किया गया था ? उन्होंने कहा, ‘वास्तव में राष्ट्र विरोधी प्रसार भारती वह इच्छा है जिसके मुताबिक वह भारतीयों को यह सुनने का मौका नहीं देना चाहती की दूसरा पक्ष क्या कह रहा है.

‘रविवार को विवाद के तूल पकड़ने पर प्रसार भारती ने अपने ट्विटर हैंडल पर कानून का विवरण साक्षा किया. अपने तीन ट्वीट में प्रसार भारती ने समाचार और कार्यक्रमों के प्रसारण में निष्पक्षता को लेकर लिखा है.

इससे पहले शनिवार को प्रसार भारती ने पीटीआई के साथ संबंधों की समीक्षा की चेतावनी दी थी. भारत के सार्वजनिक प्रसारक- प्रसार भारती ने कथित राष्ट्रविरोधी रिपोर्टिंग को लेकर समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) के साथ अपने रिश्ते को समाप्त करने की चेतावनी के साथ उसे एक पत्र भेजे जाने की जानकारी सामने आई है.

प्रसार भारती ने यह कदम तब उठाया है, जब पीटीआई ने चीनी राजदूत सुन वेदोंग का एक साक्षात्कार जारी किया, जिसमें उसने भारत-चीन हिंसक संघर्ष के लिए कथित तौर पर भारत को दोषी ठहराया. इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे.

सूत्रों का कहना है कि शनिवार को अपनी बोर्ड बैठक से ठीक पहले पीटीआई को सख्त भाषा में लिखा गया एक पत्र भेजा गया है, जिसमें सार्वजनिक प्रसारणकर्ता (पब्लिक ब्रॉडकास्टर) ने पीटीआई द्वारा राष्ट्र विरोधी रिपोर्टिंग पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है. प्रसार भारती ने पीटीआई के संपादकीय रुख को देखते हुए कहा है कि अब उसके साथ संबंध बनाए रखना मुश्किल हो रहा है.

सरकारी सूत्रों का दावा है कि पीटीआई को प्रसार भारती से विभिन्न प्रकार की फीस के रूप में दशकों से करोड़ों रुपये प्राप्त होते रहे हैं. सूत्रों ने हालांकि कहा कि पीटीआई 2016-17 से इसकी समीक्षा पर जोर देता रहा है.अब पीटीआई की कथित ‘देशविरोधी’ चीन रिपोर्टिंग से प्रसार भारती को लगता है कि इस करार के साथ आगे बढ़ना ठीक नहीं होगा. प्रसार भारती न केवल पीटीआई के साथ अपने संबंधों की समीक्षा कर रहा है, बल्कि जल्द से जल्द अंतिम निर्णय भी बताएगा.

बता दें कि गत 25 जून को प्रकाशित विवादास्पद साक्षात्कार में चीनी राजनयिक ने लद्दाख की गलवान घाटी में भारत व चीनी सेना के बीच हुई हिंसक झड़प के लिए सीधे तौर पर भारत को ही जिम्मेदार ठहराया था.पीटीआई की ओर से लिए गए इस साक्षात्कार में चीनी राजयनिक ने कहा था कि यह घटना पूरी तरह से भारतीय पक्ष द्वारा उकसाने के बाद घटित हुई थी और इसमें चीनी पक्ष जिम्मेदार नहीं है. इस साक्षात्कार के बाद चीनी राजदूत ने एक ट्वीट करके भी पीटीआई को साक्षात्कार दिए जाने की बात कही थी.

गौरतलब है कि वर्तमान सरकार के साथ पीटीआई का विवाद कई बार सामने आ चुका है. कुछ साल पहले, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि पीटीआई ने बाढ़ से संबंधित हवाईअड्डे की एक गलत तस्वीर का इस्तेमाल किया है. उस समय बाढ़ग्रस्त गुजरात में अहमदाबाद हवाईअड्डे को लेकर पीटीआई पर सवाल उठाया गया था. इसके बाद समाचार एजेंसी ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी थी.इसके बाद समाचार एजेंसी ने मैत्री दिवस को चिह्न्ति करने के लिए मोदी और नीतीश कुमार के मुखौटे पहने हुए भाजपा और जद(यू) के कार्यकर्ताओ की एक तस्वीर दिखाई थी. इस पर अगस्त 2017 में ईरानी ने ट्वीट करते हुए एजेंसी पर सवाल उठाया था. इस घटनाक्रम पर भी समाचार एजेंसी ने माफी मांगी थी. 

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